भारत में रबी मक्का : क्रांति का अग्रदूत
भारत में रबी मक्का : क्रांति का अग्रदूत – भारत में सामान्यता: मक्का की फसल खरीफ मौसम में (जून से अक्टूबर) उगाई जाती है। और वर्षा का भी वही मौसम होता है। यह कम और अधिक जल दोनों के प्रति संवेदनशील होती है, जिसके कारण देश में इसका कम उत्पादन होता है फसल को भारी वर्षा से बचाने के लिए रबी मौसम में पहली बार वर्ष 1961 में बिहार में किसानों के खेतों में मक्का के अंत: प्रजातों, एकल क्रॉस हाईब्रिडों और दोहरे क्रॉस हाईब्रिडों को उगाया गया। इससे उत्साहवर्धक परिणाम प्राप्त हुए, क्योंकि फसल पर कीटों, नाशीजीवों और रोगों का आक्रमण नहीं हुआ। इसके साथ ही साथ खरीफ मक्का की तुलना में उम्मीद से दोगुनी उच्चतर उपज प्राप्त हुई और इस प्रकार देश में रबी मक्का का एक नया परिदृश्य प्रारंभ हुआ।
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उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्या करें
किस्मों का चयन
रबी मौसम से प्राप्त होने वाली सफलता और लाभ का स्तर बहुत कुछ उगाए जाने वाले मक्का के हाइब्रिडों/कम्पोजिटों के चयन पर निर्भर करता है। इसलिए किसानों को रबी मौसम के लिए उपयुक्त केवल उच्च उत्पादन वाले हाइब्रिडों को बोयें। उच्च उपज प्राप्त करने के लिए एफ1 हाइब्रिड बीज का उपयोग अनिवार्य है।
मृदा
मक्का को रेतीली से मटियारी तक की विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है।
बुआई का समय
शीतकालीन मक्का के लिए बुआई की इष्टतम तारीख महत्वपूर्ण है। सामान्यतया अक्टूबर के अंत तक और वरीयता की दृष्टि से मध्य अक्टूबर तक बुआई पूरी कर लें। अक्टूबर के दूसरे पक्ष से मध्य नवम्बर तक अधिकांश उत्तर भारत में तापमान में तेजी से गिरावट आती है, जिसके परिणामस्वरूप अंकुरण में देरी होती है और पौधे की बढ़वार में कमी आती है। इसलिए बुआई में किसी भी प्रकार की देरी से उपज में भी कमी आती है।
पौध संख्या और बीज दर
रबी में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए कटाई के समय प्रति हेक्टेयर 90,000 पौधों की संख्या वांछनीय हैं। पंक्तियों के बीच 60 सेमी का अंतराल और पौधों के बीच 18 से 20 सेमी तक की दूरी। इस उद्देश्य के लिए 1 हेक्टेयर भूमि में बुआई के लिए 20 से 22 किग्रा बीजों की आवश्यकता होगी। बुआई से पहले, बीजों को गरम पानी में (बीजों को भिगोने के समय 45 डिग्री से.ग्रे.) रात भर भिगोकर रखें। इस उपचार से बेहतर पादप स्थापना और स्वस्थ फसल प्राप्त करने में सहायता, मिलेगी। बीजों को 4 से 5 सेमी की गहराई पर बोयें।
बीज उपचार
मक्के की फसल को बीज और मिट्टी जन्य रोगों और कीटनाशी जीवों से बचाने के लिए बीज उपचार आवश्यक होता है।
रबी मौसम के लिए विभिन्न राज्यों के लिए लेट वेरायटी की हाइब्रिडों (एच) और कम्पोजिटों (सी) की सूची
राज्य | पिछेती परिपक्वता |
दिल्ली | एच: पीएमएच 3, बुलंद, एनके 61, प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, एचएम 11, 8 |
पंजाब | एच: पीएचएम 3, पीएमएच 1, एचएम 5, 11, 8, एनके 61, प्रो 311, सीड टैक 2324, |
हरियाणा | एच: पीएचएम 3, बुलंद, शीतल, प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, एचएम 11, एचएम 2, एचएम 1, एचएम 8 |
उत्तर प्रदेश | एच : एच: पीएचएम 3, बुलंद, प्रो एग्रो 4212, प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, एचएम 8 |
राजस्थान | एच : प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324 |
गुजरात | एच: प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, सी: जीएम 3, गंगा सफेद 2 |
आंध्र प्रदेश | एच: खरीफ के पछेती परिपक्वता वाले हाइब्रिड, उदा. कारगिल 900 एम, सीड टैक 2324, प्रो 311, बायो 9681, पायोनिर 30, वी 92, प्रबल 30 |
तमिलनाडु | एच: सीओएचएम 5, प्रबल, प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, 30वी 92, 900 एम |
महाराष्ट्र | एच: प्रबल, प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, 30वी 92, 900 एम |
कर्नाटक | एच: नित्या श्री, डीएमएच 1, डीएमएच 2, 900 एम, बायो 9681, प्रबल, प्रो 311, सीड टैक 2324, सी: एलएसी 6004, 30वी 92 |
बिहार | एच: राजेन्द्र हाइब्रिड 2, राजेन्द्र हाइब्रिड 1, 30वी 92, 900एम, सी: हेमंत, सुआन, लक्ष्मी |
झारखंड | प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324 सी: सुआन |
उड़ीसा | प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324, पीएसी 705 |
पश्चिम बंगाल | एच: प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324 |
हिमाचल प्रदेश | एच: प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324 |
उत्तर पूर्वी | एच : प्रो 311, बायो 9681, सीड टैक 2324 |
पर्वतीय क्षेत्र | सी: एनएलडी व्हाइट |
छत्तीसगढ़ | एच: पीईएचएम 1, पायोनियर 30, वी 92, आर 26, बायो 9681, प्रो 4640, प्रो 4643, 900एम |
असम | सी: एनएलडी व्हाइट |