Crop Cultivation (फसल की खेती)

जानिए सोयाबीन की फसल में जल प्रबंधन एंव खरपतवार नियंत्रण

Share

14 जून 2023, भोपाल: जानिए सोयाबीन की फसल में जल प्रबंधन एंव खरपतवार नियंत्रण – भारत में अभी खरीफ की फसल का बुवाई का समय आने वाला हैं। मध्य भारत में अधिकांश क्षेत्रों में सोयाबीन की खेती की जाती हैं। ऐसे में सोयाबीन की उन्नत खेती करने के लिए किसानों को सोयबीन में जल प्रबंधन एंव खरपतवार नियंत्रणकी जानकारी होना आवश्यक हैं। सोयाबीन तिलहनी फसलों में की जाने वाली प्रमुख फसल हैं। किसानों को सोयाबीन की फसल के अच्छे भाव मिलते हैं क्योंकि इसका तेल निकाला जाता हैं इसके अलावा भी सोयाबीन से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है।

सोयाबीन मध्यप्रदेश की प्रमुख खरीफ फसल हैं। मध्यप्रदेश के अलावा इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है। सोयाबीन की फसल जून से जुलाई के बीच बोई जाती हैं एंव अक्टूबर से नवंबर तक यह फसल पक कर कटने को तैयार हो जाती हैं। 

सोयाबीन में जल प्रबंध:         

·        सोयाबीन की फसल में यदि उचित जल प्रबंध नही है, तो जो भी आदान दिया जाता है उसका समुचित उपयोग पौधों द्वारा नहीं हो पाता है ।

·        इसके साथ ही जड़ सड़न, झुलसन जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है एवं नींदा नियंत्रण कठिन हो जाता है जिसके फलस्वरूप, पौधों का विकास सीमित हो जाता है एवं उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है।

·        सामान्य तरीके से बुवाई के बाद 20-20 मीटर की दूरी पर ढाल के अनुरूप जल निकास नालिया अवश्य बनायें, जिससे अधिक वर्षा की स्थिति में जलभराव की स्थिति पैदा न हो एवं आवश्यकतानुसार सिंचाई भी दी जा सके।

·        मेंढ़ – नाली विधि एवं चौड़ी पट्टी – नाली विधि की बुवाई, जल निकास में भी प्रभावी पायी गयी हैं।

·        यदि एक सप्ताह से ज्यादा वर्षा का अन्तराल हो जाये तो सिंचाई की सुविधा होने पर हल्की सिंचाई इन्हीं नालियों के माध्यम से करें। उचित जल प्रबंध से सोयाबीन की पैदावार में वृद्धि होती है।

सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण:

·        सोयाबीन में विभिन्न प्रकार के घास कुल के एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार फसल के साथ जल एवं पोषक तत्वों के लिए स्पर्धा करते हैं जिससे पैदावार में कमी आ जाती है।

·        अतः 20-25 दिन एवं 40-45 दिन की फसल होने पर में फसल से खरपतवार निकाल देना चाहिए। मजदूरों द्वारा हाथ से निंदाई करवाने के परिणाम अच्छे मिले हैं।

·        मजदूरों की कमी, वर्षा का अंतराल एवं जमीन की स्थिति से हाथ की निंदाई खरीफ मौसम में कभी कभी कठिन हो जाती है अतः यांत्रिक विधियों में सी.आई.ए.ई. भोपाल द्वारा निर्मित उन्नत हैन्ड हो या बैलों से चलने वाला कुल्पा या डोरा से भी नींदा नियंत्रण कर सकते हैं।

·        आवश्यकतानुसार रासायनिक नींदानाशकों का उपयोग भी करना चाहिए।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Share
Advertisements