सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलों में कीटों का प्रकोप, किसान बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
05 अगस्त 2025, भोपाल: सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलों में कीटों का प्रकोप, किसान बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय – मध्यप्रदेश में खरीफ सीजन की प्रमुख फसलें जैसे सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्का, बाजरा, तिल आदि में इस समय खरपतवार और कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन तकनीकों को अपनाएं। सोयाबीन में पत्ती काटने वाले कीट भृंग, मक्का में इल्ली जैसे कीटों का असर देखा गया है। ऐसे में समन्वित कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक को अपनाना जरूरी है, जिसमें प्रकाश प्रपंच, फेरोमेन ट्रैप, टी-आकार की खूंटी और जरूरत पड़ने पर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए।
सोयाबीन में कीटों का आर्थिक क्षति स्तर
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन की फसल में निम्न कीटों से नुकसान होता है:
कीट का नाम | आर्थिक क्षति स्तर (प्रति 1 मीटर कतार) |
ब्लू बीटल | 4 बीटल |
हरी अर्धकुंडलक इल्ली | फूल के समय: 4 लार्वा |
फली बनते समय: 3 लार्वा | |
तंबाकू की इल्ली | 10 लार्वा |
चने की इल्ली | हानिकारक |
यदि कीटों की संख्या इस स्तर से अधिक हो जाए, तो कीटनाशक का उपयोग जरूरी हो जाता है।
अनुशंसित कीटनाशक और उनकी मात्रा (भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा)
कीट | कीटनाशक | मात्रा प्रति हेक्टेयर |
ब्लू बीटल | क्वीनालफॉस 25 EC | 1 लीटर |
तना मक्खी | थायोमिथाक्साम + लैम्बडा-सायहेलोथ्रिन | 125 मिली |
सफेद मक्खी | बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड | 350 मिली |
अन्य विकल्प | क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल + लैम्बडा-सायहेलोथ्रिन | 200-300 मिली |
टिप: उपरोक्त में से किसी एक कीटनाशक का चयन करके छिड़काव करें।
सोयाबीन में कीटों का जैविक नियंत्रण
कीटों के नियंत्रण के लिए टी-आकार की खूंटी 40-50 प्रति हैक्टेयर, फेरोमेन ट्रेप- 12-15 प्रति हैक्टेयर, ब्यूवेरिया बेसियाना लीटर प्रति हैक्टेयर, बेसिलस बुरूजेनेसिस । किया प्रति हैक्टेयर, एच.एन.पी.की. 250 एल.ई. प्रति हैक्टेयर, एस.एल.एन.पी.व्ही. 250 एल ई. प्रति हैक्टेयर।
सोयाबीन व उड़द को पीला मोजेक रोग से कैसे बचायें?
कीटों रोग का प्रकोप दिखते ही ग्रसित पौधों को उखाड़कर तुरंत नष्ट करें। सिंथेटिक पाइराघ्राइट्स कीटनाशक का उपयोग न करें। शुरूआती अवस्था में ही थायोमियाक्जाम 25 डब्ल्यू.जी या पसिटामिडि 20 एस.पी. मात्रा 60 ग्राम एकड़ की दर से छिड़काव करें। नैनो यूरिया तरल फसलों में नैनो यूरिया की 4 मिली मात्रा लीटर से 55-60 दिन बाद व तीसरा छिड़काव फसल की आवश्यकतानुसार करें। प्रति एकड़ 125 लीटर पानी का छिड़काव करें। ध्यान दे, कि छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है।
नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का उपयोग
फसलों में नैनो डीएपी का उपयोग बीज उपकार एवं पर्णीय छिड़काव के रूप में किया जा सकता है। बीज उपचार के लिए 5 मिली नैनो डोरल्यों की मात्रा को प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें व उपचारित बीज को छाया में 20-25 मिनट सुधाराई करें।
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