IARI: पछेती गेहूँ बो रहे हैं? ये गलतियाँ बिलकुल न करें
10 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: IARI: पछेती गेहूँ बो रहे हैं? ये गलतियाँ बिलकुल न करें – आने वाले दिनों में मौसम ज्यादातर सूखा रहने वाला है। ऐसे में कुछ जरूरी काम हैं जिन पर किसानों को जल्दी ध्यान देना चाहिए, नहीं तो बाद में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गेहूँ की देखभाल
जिन किसानों की गेहूँ की फसल 21-25 दिन की हो गयी हो, वे अगले पाँच दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई करें। सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें।
तापमान को ध्यान में हूए रखते किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूँ की बुवाई अतिशीघ्र करें। बीज दर–125 कि.ग्रा.प्रति हैक्टर। उन्नत प्रजातियाँ- एच. डी. 3059, एच. डी. 3237, एच. डी. 3271, एच. डी. 3369, एच. डी. 3117, डब्ल्यू. आर. 544, पी.बी.डब्ल्यू. 373, बुवाई से पूर्व बीजों को बाविस्टिन @ 1.0 ग्राम या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5.0 लीटर/हैक्टर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दे। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 150, 60 व 40 कि.ग्रा./ हैक्टर होनी चाहिये।
सरसों में रोग और खरपतवार पर ध्यान
देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें। औसत तापमान में कमी को मध्यनजर रखते हुए सरसों की फसल में सफ़ेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें।
सब्जियों की रोपाई और देखभाल
इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सडी हूई गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें।
हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झूलसा रोग आने की संभावना है अतः फसल की नियमित रूप से निगरानी करें। लक्ष्ण दिखाई देने पर डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयारहै, वह मौसस को ध्यान में रखते हुये पौधों की रोपाई कर सकते हैं।
गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करतेरहें यदि सख्याँ अधिक हो तो बी. टी.@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या
स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एम.एल./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इस मौसम में किसान सब्जियों कीनिराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें।
आम के पेड़ों में मिलीबग का प्रकोप
इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इसको रोकने हेतु किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे। तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जायेंगे।
सापेक्षिक आर्द्रता के अधिक रहने की सम्भावना को ध्यान में रखते हूए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पूष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें।
धान की पराली बिल्कुल न जलाएँ
किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐ। क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है। नमी मृदा में संरक्षित रहती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हेक्टेयर किया जा सकता है।
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