पछेती बुआई से पहले करें किसान ये जरूरी काम, बढ़ेगी सोयाबीन की उपज
16 जुलाई 2024, भोपाल: पछेती बुआई से पहले करें किसान ये जरूरी काम, बढ़ेगी सोयाबीन की उपज – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान (ICAR-Indian Institute of Soybean Research) ने सोयाबीन किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। किसान अपने फसल की सुरक्षा और उपज बढ़ाने के लिए कुछ विशेष तकनीकों और सुझावों का पालन करना चाहिए।
बुआई से पहले किसान करे ये काम
जिन किसानों ने अभी तक सोयाबीन की फसल की बुवाई पूरी नहीं की है, उन्हें भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान द्वारा सलाह दी जाती है कि वे जल्दी पकने वाली सोयाबीन किस्मों के बीज जैसे NRC 130, NRC 131, NRC 157, NRC 165, NRC 138, NRC 150, NRC 181 को प्राथमिकता दें।
बीजोपचार की सटीक जानकारी
विभिन्न रोगों के संक्रमण से फसल की रक्षा के लिए, सोयाबीन किसानों को निम्नलिखित बीज उपचार क्रम का पालन करने की सलाह दी जाती है:
- पूर्व-मिश्रित फार्मूलेशन: एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 2.5% + थायोफिनेट मिथाइल11.25% + थायामिथोक्सम 25% एफएस (@ 10 एमएल/किलो बीज) का उपयोग करें जिसमें फफूंदनाशक और कीटनाशक दोनों होते हैं।
- रासायनिक उपचार: पेनफ्लूफेऩ + ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबिन 38 एफ.एस (1 एमएल/किलो बीज) या थाइरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% (3 ग्राम/किलो बीज) के बाद थायामिथोक्सम 30 एफएस (10 एमएल/किलो बीज) या इमिडाक्लोप्रिड (1.25 एमएल/किलो बीज) से उपचार करें।
- जैविक उपचार: फफूंदनाशक एवं कीटनाशकों से बीजोपचार बोवनी से पहले भी किया जा सकता हैं जबकि ब्रेडीरायजोबीयम/PSB/मायकोरायजा जैसे जीवाणु खाद से टीकाकरण केवल बोवनी के समय करें।
- अन्य: फफूंदनाशक एवं कीटनाशक से उपचारित बीज को बोवनी के समय सोयाबीन बीज को जैविक कल्चर ब्रेडीरायबीयम + पी.एस.एम. (प्रत्येक 5 ग्राम/किलो बीज) से टीकाकरण करने की भी सलाह हैं और किसान रासायनिक फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्रायकोडर्मा विरिडी (10 ग्राम/किलो बीज) का भी उपयोग कर सकते है जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलकर प्रयोग किया जा सकता हैं।
बीज बोते समय बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 90 से 100 किलोग्राम तक बढ़ा दें और एक कतार से दूसरी कतार के बीच की दूरी में 30 सेमी की कमी करें। देरी से बुवाई होने की स्थिति में किसानों को खरपतवार के प्रबंधन हेतु बुवाई से पहले कल्टीवेटर का उपयोग करना चाहिए।
ब्रॉड बेड फरो (बीबीएफ) या रिज एंड फरो पद्धति का उपयोग कर किसान अत्यधिक वर्षा के साथ-साथ सूखे की स्थिति में भी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं और किसान सिंचाई हेतु बीबीएफ/रिज फ़रो विधियों द्वारा बनाई गई नालियों में कीट आकर्षक फसल (सुवा/मेरीगोल्ड) की बोवनी करें। इससे कीटों को आकर्षित किया जा सकेगा और कीटों पर नियंत्रण आसान हो जाएगा।
असिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन और अरहर की खेती 4:2 के अनुपात में सबसे अधिक लाभदायक पाई गई है। जबकि सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार, कपास, बाजरा आदि फसलों के साथ अंतर-फसल की सिफारिश की जाती है।
सोयाबीन में पोषक तत्वों का प्रबंधन
किसान सभी पोषक तत्वों की अनुशंसित मात्रा 25:60:40:20 किलो / है. नाइट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटाश व सल्फर की पूर्ति केवल बोनी के समय करें। केंद्रीय क्षेत्र के लिए निम्नलिखित उर्वरक संयोजनों में से किसी एक का उपयोग किया जा सकता है:
- यूरिया 56 किग्रा + 375-400 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट व 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश
- 140 किग्रा डीएपी + 67 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश + 25 किग्रा बेंटोनेट सल्फर
- मिश्रित उर्वरक 12:32:16 (200 किग्रा / है.) + 25 kg बेंटोनेट सल्फर
किसान बुवाई के दौरान सोयाबीन बीज को उर्वरकों के साथ न मिलाएं। इसके बजाय, वे बुवाई के लिए सीड-कम-फ़र्टालाइज़र बीज ड्रिल का उपयोग करें या बुवाई से ठीक पहले खेतो में उर्वरकों का छिड़काव कर सकते हैं।
जैविक सोयाबीन उत्पादन के मामले में, किसानों को बुवाई के समय ट्रायकोडर्मा विरिडी + ब्रेडीरायबीयम जपोनियम + पीएसबी /तरल बायोफ़र्टालाइज़र / कन्सोर्शाया का उपयोग कर सकते हैं।
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