केले की किस्म रस्थली (एएबी)
30 दिसम्बर 2023, भोपाल: केले की किस्म रस्थली (एएबी) – केले की किस्म रस्थली (एएबी) को सिल्क, मुथेली, मालभोग, मार्टामन, कर्कडु वाझाई, अमृतपानी और रसाबले के नाम से भी जाना जाता है। यह व्यावसायिक रूप से तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल, कर्नाटक, बिहार, असम और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता हैं।
फसल की अवधि 14 से 15 महीने है। रस्थली (एएबी) के गुच्छे का औसत वजन 15 किलोग्राम होता है, जिसमें 7 से 8 हाथ और 80-90 फल/गुच्छे होते हैं। यह फल अपने विकास के दौरान हल्के हरे रंग के होते हैं और पकने पर पीले हो जाते हैं। फल की लंबाई 11 से 12 सेमी और बीच में 10.5 सेमी घेरा होता है।
फलों का छिलका बहुत पतला होता है। इसका स्वाद थोड़ा सा सेब फल के जैसा हैं और यह खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं। इसका गूदे का रंग मैला और हाथीदात जैसा सफेद होता हैं। कुछ मामलों में इन फलों में ‘कठोर गांठें’ (कच्चे ऊतक) हो सकती हैं। यह फल अंजीर, तम और जूस तथा मीठी चटनी बनाने के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं।
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