खरीफ फसल हेतु आवश्यक उपाय
अधिकांश रूप से ऐसा देखा गया है कि या तो वर्षा समय पर प्रारंभ नहीं होती या उसका वितरण फसल की आवश्यकता के अनुसार नहीं होता है, जिसके कारण कई अवस्थाओं में या तो पानी अधिक होता है, जिससे हानि
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंअधिकांश रूप से ऐसा देखा गया है कि या तो वर्षा समय पर प्रारंभ नहीं होती या उसका वितरण फसल की आवश्यकता के अनुसार नहीं होता है, जिसके कारण कई अवस्थाओं में या तो पानी अधिक होता है, जिससे हानि
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंदलहनी फसलों के पौधों की जडों पर उपस्थित ग्रंथियाँ वायुमण्डल से सीधे नत्रजन ग्रहण कर पौधों को देती हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। दलहनी फसलें खाद्यान्न फसलों की अपेक्षा अधिक सूखारोधी होती है। मध्यप्रदेश से अरहर
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें– रामाधार सिंह,बिलासपुर समाधान– पपीता लगाने का उचित समय दिसम्बर – जनवरी तथा मई-जून है। अच्छी पौध मिल जाये तो साल भर पपीता लगाया जा सकता है। यह 18 माह की फसल होती है नर्सरी 2 माह, पुष्पन 4 माह,
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें– जसवंत सिंह, होशंगाबाद समाधान- सामान्य वर्षा की स्थिति में सोयाबीन की बुआई अधिक से अधिक 10 जुलाई तक कर दी जाना चाहिये इस वर्षा का रुख कहीं कम कहीं ज्यादा होकर असामान्य स्थिति बनती जा रही है। आपके क्षेत्र
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें– गुलाब चन्द शर्मा, पिपरिया समाधान – गन्ने की जड़ी का अपना अलग महत्व होता है। गन्ना लगाने का व्यय, बीज का व्यय तथा खेत की तैयारी का खर्च बच जाता है यदि इस जड़ी फसल का रखरखाव की तकनीकी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें– सरजू प्रसाद, राय बरेली समाधान – गन्ने की फसल में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होगा। मानसून के आने में देरी की वजह से पानी की कमी से नुकसान संभव है। सिंचाई के साथ-साथ निंदाई/गुड़ाई तथा बंधाई भी जरूरी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें– दीपक यादव, होशंगाबाद समाधान- गेंदा वर्ष में तीन बार लगाया जा सकता है। वर्षाकालीन फसल हेतु नर्सरी जून में, शीतकालीन फसल हेतु मध्य सितंबर में और जायद में जनवरी-फरवरी में नर्सरी डाली जा सकती है। आप निम्न प्रकार से
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखेत की तैयारी– अधिक खरपतवार उगने वाली भूमि में गर्मियों में एक गहरी जुताई अवश्य करें तथा मानसून की पहली वर्षा आते ही 1-2 बार खेत की जुताई करके भूमि तैयार कर लें। तीन वर्ष में एक बार 20-25 टन
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखरीफ के मौसम में वातावरण में नमी एवं तापमान की अधिकता तथा वर्षा ऋतु के कारण सब्जियों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इस मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियॉं जैसे लौकी, गिलकी, करेला, खीरा आदि को लगाया जाना उपयुक्त होता है। इसके
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंइंदौर। भारत की प्रमुख कृषि रसायन बनाने वाली कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने अपना बहु- प्रतीक्षित कीटनाशक डी-वन पेश किया। डी-वन द्वारा कपास की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों जैसे कि जैसिड्स, एफिड्स और मिलीबग्स के उत्कृष्ट नियंत्रण की
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