खुशबूदार सौंफ लगायें
सौंफ की खेती मुख्य रूप से मसाले के रूप में की जाती है। सौंफ के बीजों से ओलेटाइल तेल (0.7-1.2 प्रतिशत) भी निकाला जाता है, सौंफ एक खुशबूदार बीज वाला मसाला होता है। सौंफ के दाने आकार में छोटे और
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंCrop Cultivation includes package of practices (Kheti ki Jankari) and innovations in farming practices (Beej Upchar, Kharpatwar niyantaran, rogon aur sankraman se suraksha)
Cereal crops (अनाज की फसल) – Gehu, Dhan, Makka, Jau, Bajra, Jowar, Ragi, Kodo, Kutki.
Oil seeds (तिलहन) – Soybean, Canola, Sarso, Surajmukhi, Moongfali.
Pulses (दलहन फसल) – Moong, Arhar, Tur, Chana, Masoor, Urad.
Fibre crops (रेशे वाली फसलें) – Kapas (Cotton), Jute. Tuber crops (कंद की फसलें) – Aalu, shakarkand, shaljam, Arbi.
Spice crops (मसाला फसलें) – ilichai, laung, haldi, adrak, lehsun, jeera, Kela, ganna (Sugarcane), Mirch, dhaniya.
Cash crops (नकदी फसलें) – Chai, Coffee, Tambaku.
Vegetable crops (सब्जियों की फसलें) – Pyaz, tamatar, baingan, lauki, gilki, kaddu, bhindi, palak, methi, gobhi.
Fruit crops (फल) – Angoor, Aam, sab, kela, Santara, Anar, amrood ki kheti ki jankari.
सौंफ की खेती मुख्य रूप से मसाले के रूप में की जाती है। सौंफ के बीजों से ओलेटाइल तेल (0.7-1.2 प्रतिशत) भी निकाला जाता है, सौंफ एक खुशबूदार बीज वाला मसाला होता है। सौंफ के दाने आकार में छोटे और
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंप्रिय किसान भाईयो, गुलाबी इल्ली का नियंत्रण करने के लिये नीचे दिए गए उपायों का उपयोग करें। गुलाबी इल्ली को कैसे पहचानें? नीचे दिए गए चित्रों से गुलाबी इल्ली के प्रकोप को पहचानने में मदद मिलेगी। आर्थिक नुकसान का स्तर
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंकपास, धान,सब्जियां,मिर्च कुकरबिट्सइल्लियां,बेधक एवं रसचूसक कीटकपास, गेहूंरसचूसक कीट, दीमककपास, दलहन, धानसमस्त प्रकार की इल्लियांकपास, धान, दलहन,गन्नाइल्लियां, लाल मकड़ी एवं बेधक कीटनाशकों के तकनीकी नाम और उनकी विशेषताएं रसायनिक
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंतना मक्खी: इस कीट की सूंडी अवस्था पौधे के तने को नुकसान पहुंचाती है। सुंडियां जड़ों से लगभग 40 से.मी. ऊपर तने में घुसकर अंदर ही अंदर टेढ़ी-मेढ़ी सुरंग बनाकर तने को खोखला कर देती है। जैसे-जैसे पौधे की लंबाई
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंकपास पर संपूर्ण विश्व में लगभग 1326 कीट प्रजातियां पाई गई हैं जिनमें से 162 प्रजातियां हमारे देश में भी कपास उत्पादक क्षेत्रों में पायी गई हैं। इन 162 कीट प्रजातियों में से 9 कीट प्रजातियां लगभग 50 प्रतिशत कपास
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंकुष्मांडकुल को कद्दूवर्गीय सब्जियों के नाम से भी पुकारा जाता है। इस कुल की सभी सब्जियों का उपयोग आहार के रूप में किया जाता है अधिकांश कद्दूवर्गीय सब्जियों का उत्पत्ति स्थान भारत हैं। इस वर्ग की सब्जियों में खीरा, ककड़ी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें”मृदा के स्वास्थ्य को सुधारना है। फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है।।” जिप्सम के उपयोग से तिलहनी, दलहनी व अनाज वाली फसलों के उत्पादन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के साथ-साथ भूमि का स्वास्थ्य भी बना रहता है। जिप्सम पोषक तत्व
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंसोयाबीन -गेहूं फसल चक्र अपनाने से गेहूं की पैदावार में काफी बढ़ोतरी पाई गई है। सोयाबीन के बाद गेहूं लगाने पर गेहूं फसल को सोयाबीन फसल द्वारा छोड़ी गई नत्रजन एवं अन्य तत्व फायदा पहुँचाते हैं जिससे फसल उत्पादन बढ़
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखेत की तैयारी अच्छे निथार वाले बालू भूमि की तैयारी एक या दो बार बक्खर चलाकर मिट्टी भुरभुरी कर लें। आखिरी बार बखरनी के पहले एक हेक्टेयर में 20 किलो फाली डाल डस्ट डालकर मिला लें और 15 टन गोबर
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभूमि का चुनाव:- हल्की रेतीली दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि जिसका पी.एच. 7- 8 के मध्य हो व पानी का निकास की समुचित व्यवस्था हो वह उड़द के लिये उपयुक्त है। खेतों को ट्रैक्टर या देशी हल से दो-तीन
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