पशुओं में बधियाकरण के लाभ
उत्तम कुल का साण्ड जिसकी मां दादी नानी उत्तम वंश की बहुत अच्छा दूध देने वाली व बहुत अच्छे खेती योग्य बछड़े देने वाली रही हों, साण्ड के पिता, दादा व नाना भी अच्छे साण्ड रहे हों जिनसे अच्छा दूध देने वाली गायें व अच्छे खेती योग्य बछड़े पैदा हुए हों, ऐसे साण्ड से गायें ग्याभन होती थीं तो नस्ल सुधार होता था और अधिक मात्रा में दूध उत्पादन होता था। अगर किसी साण्ड के बारे में इतनी लम्बी जानकारी न हो सके तो कम से कम जिसे हम साण्ड बनाने जा रहे हैं उसके मां और बाप के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
आज का पशु-पालक इन सब बातों को भूल गया है। किसी भी बछड़े से अपनी गाय को हरी करा लेता है। घर के बछड़े से, बछड़े की मां बहिन को ग्याभन करा लेता है, गर्मी में आई गाय गली मौहल्ले में आवारा घूम रहे नाकारा निकृष्ट साण्डों से ग्याभन हो जाती है। इस तरह जो बछडिय़ां पैदा हो रही हैं उनमें दूध देने की क्षमता नहीं है। कम दूध देने वाली गाय को पशु-पालक बोझ समझने लग गया है। जरा सोचो? गाय को बोझ तो हम ही बना रहे हैं, हर किसी आवारा बछड़े व साण्ड से गायों को हरी करा कर।
पशुपालन विभाग ऐसे नाकारा बछड़ों व साण्डों का मशीन से बधियाकरण करता है। आपके घर में अगर ऐसा बछड़ा है तो उससे गाय मत फैलाईयें, ऐसे साण्ड या बछड़े आपके गांव में आवारा घूम रहे हैं तो इसकी सूचना आपके क्षेत्र के पशु-चिकित्सालय में दीजिये व इन्हें तुरन्त मशीन से बधिया करा दीजिये। दो साल या दो साल से अधिक उम्र का आवारा बछड़ा या साण्ड चाहे जहाँ भी घूम रहा हो उसे बधिया करवा दीजिये। आपके घर में ऐसा बछड़ा है तो उसे भी बधिया करवा लीजिये।
गंाव की गायों को हरी कराने के लिए अच्छी नस्ल के सर्वगुण सम्पन्न साण्ड की व्यवस्था कीजिये। अच्छी नस्ल के साण्ड प्राप्त करने के लिए पशु पालन विभाग का सहयोग लीजिये।
पशु पालन विभाग ने प्रत्येक पशु-चिकित्सालय, औषधालय, उपकेंद्र पर गर्भाधान की सुविधा उपलब्ध करवा रखी है। अपनी गायों को उत्तम नस्ल के साण्डों के वीर्य से ग्याभन कराना चाहिए। नस्ल सुधार कार्यक्रम में अपना सहयोग देकर आपके पास जो उन्नत नस्ल के पशु हैं उनसे और अधिक उन्नत नस्ल के पशु पैदा कीजिये। जो पशु नाकारा, निकृष्ट हैं उनसे उन्नत पशु प्राप्त कर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कीजिये। दुग्ध उत्पादन से गाय की प्रतिष्ठा व आपकी आमदनी बढ़ेगी।
हमारे बुजुर्गों के पास नर पशु को बधिया करने के लिए इस तरह की मशीन नहीं थी। उस समय बधिया करने के तरीके से बछड़े की बहुत पीड़ा होती थी, कभी-कभी तो बहुत ज्यादा परेशानी हो जाती थी, कभी-कभी मृत्यु तक हो जाती थी। इसके बावजूद भी हमारे बुजुर्ग गायों की नस्ल को बिगाडऩे वाले बछड़ों को हर हालत में बधिया करा लेते थे। प्रत्येक बछड़े को बैल बनाने के लिए बधिया करना ही पड़ता था।
आज बछड़ों को बधिया कराने के लिए आसान तरीका उपलब्ध है। अपने बछड़े को दो साल की उम्र तक अवश्य बधिया करा लीजिये।
बेकार बछड़ों का बधियाकारण, श्रेष्ठ साण्ड में प्राकृतिक गर्भाधान व श्रेष्ठ वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान अपनाईये, अपना व अपने पशुधन का भविष्य उज्जवल बनाईये, प्रदेश व देश को श्वेत क्रान्ति की ओर अग्रसर कीजिये।।
| कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार | |
|
देशी गौ नस्ल राठी, थारपारकर, कांकरेज, गीर पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। ये हमारी दुधारू नस्लें हैं। नागौरी एवं मालवी नस्ल अच्छे बछड़ों व बैलों के लिए प्रसिद्ध है लेकिन दूध कम देती है। Advertisement
Advertisement
|
कृत्रिम गर्भाधान कब कराया जाये |

