पशुपालन (Animal Husbandry)

बकरों का समय से बधियाकरण करके आय में करें बढ़ोतरी

बधियाकरण के फायदे

  • बधियाकरण द्वारा निम्न स्तर के पशु के वंश को आगे बढऩे से रोका जा सकता है जिससे उसके द्वारा असक्षम एवं अवांक्षित संतान पैदा ही नहीं होती जोकि सफल एवं लाभकारी पशुपालन के लिए आवश्यक है।
  • बधिया किए गये नर बकरों को मादा पशुओं के साथ बिना किसी कठिनाई के रखा जा सकता है क्योंकि वह मद में आई मादा के ऊपर नहीं चढ़ता।
  • बधिया किए गये बकरों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • बधियाकरण से माँस के लिये प्रयोग होने वाले पशुओं के माँस की गुणवत्ता बढ़ जाती है एवं कम समय में अधिक वजन प्राप्त होने से कीमत अच्छी मिलती है ।
  • बकरी पालन सम्बंधी आवश्यक बातें भी जाने
  • बकरी का प्रथम प्रजनन 8-10 माह की उम्र के बाद ही करवाए
  • बकरियों के गर्म होने के 10-12 एवं 24-28 घंटों के बीच 2 बार पाल दिलाएँ।
  • बच्चा देने के 30 दिनों के बाद ही गर्म होने पर पाल दिलाएँ।
  • गाभिन बकरियों को गर्भावस्था के अंतिम डेढ़ महीने में चराने के अतिरिक्त कम से कम 200 ग्राम दाना का मिश्रण अवश्य दें एवं बकरियों के आवास में प्रति बकरी 10-12 वर्ग फीट की जगह दें तथा एक घर में एक साथ 20 बकरियों से ज्यादा नहीं रखें।
  • बच्चा जन्म के समय अगर मदद की आवश्यकता हो तो साबुन से हाथ धोकर मदद करनी चाहिए और जन्म के उपरान्त नाभी को 3 इंच पीछे से नया ब्लेड से काट दें तथा इरोल या टिंक्चर आयोडीन या बोकाडीन लगा दें। यह दवा 2-3 दिनों तक लगायें। जन्म के बाद बच्ची की नाभी को अच्छी तरह साफ़ करें एवं बच्चों की माँ का प्रथम दूध जन्म के 20 मिनट के अंदर पिलायें। बकरी, खासकर बच्चों को ठंड से बचाएँ। नर बच्चों का बंध्याकरण 2 माह की उम्र में कराएँ।
  • बकरी के बच्चों को समय-समय पर टेट्रासाइक्लिन दवा पानी में मिलाकर पिलायें। इससे न्यूमोनिया का प्रकोप कम होगा। बकरी के बच्चों को कॉक्सिडियोसिस के प्रकोप से बचाने हेतु डॉक्टर की सलाह से दवा दें।
  • तीन माह के अधिक उम्र के प्रत्येक बच्चों एवं बकरियों को इंटेरोटोक्सिमिया एवं पीपीआर का टीका अवश्य लगायें। बकरी तथा इनके बच्चों को हर चार महीनों के अंतराल पर नियमित रूप से कृमिनाशक दवा दें।
  • बकरियों के आवास को साफ़ सुथरा रखना चाहिए और बाहरी परजीवों का खात्मा करने हेतु बकरी फार्म पर देशी मुर्गियों को रखना फायदेमंद होता है ।
  • खस्सी किया हुआ बकरा एवं बकरी की बिक्री 9-10 माह की उम्र में करना लाभप्रद होता है और बीमार बकरी का उपचार डॉक्टर की सलाह के अनुसार करें।

बकरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इससे प्राप्त होने वाली वस्तुएं जैसे दूध, मांस, बाल, चमड़े जैविक खाद इत्यादि सभी प्रकार से लाभदायक होते है । जिले में बहुत सारे बेरोजगार युवक बकरी पालन वयवसाय से जुड़कर रोजगार तलाश कर रहे हैं । बकरी पालन में कम निवेश करके कम समय में अच्छा मुनाफा अर्जित किया सकता है। पालन-पोषण में थोड़ी सावधानी एवं जानकारी से अधिक से अधिक लाभ मिलता है। बकरी पालकों को नर बच्चों का बधियाकरण 2 माह की आयु में बर्डिजो कास्ट्रेटर की सहायता से करवा लेना चाहिए ताकि बकरों की बढ़वार अच्छी हो पाये। बर्डिजो कास्ट्रेटर एक विशेष प्रकार का यंत्र जिसके माध्यम से बधियाकरण सर्वाधिक प्रचलित एवं सुरक्षित है। इस विधि में खून बिल्कुल भी नहीं निकलता क्योंकि इसमें चमड़ी को काटा नहीं जाता। इसमें पशु के अंड कोषों से ऊपर की ओर जुड़ी स्पर्मेटिक कोर्ड जो कि चमड़ी के नीचे स्थित होती है, को इस यंत्र के द्वारा बाहर से दबा कर कुचल दिया जाता है जिससे अंडकोषों में खून का दौर बंद हो जाता है। फलस्वरूप अंडकोष स्वत: ही सूख जाते हैं। ध्यान रखें कि कास्ट्रेटर में अंडकोष नहीं दबना चाहिये अन्यथा अंडकोषों में भारी सूजन आ जाती है जिससे पशु को तकलीफ होती है।

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