एग्रीकल्चर मशीन (Agriculture Machinery)

ट्रैक्टर चलाने में रखें सावधानियाँ

  •  प्रेमशंकर तिवारी
  • कमल नयन अग्रवाल , स्वीटी कुमारी
    कृषि यंत्रीकरण प्रभाग, भा.कृ.अनु. परि., केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान नबीबाग, बैरसिया रोड, भोपाल

 

2 मार्च 2023, भोपाल । ट्रैक्टर चलाने में रखें सावधानियाँट्रैक्टर मूलत: कृषि कार्य हेतु बनाया गया है ताकि ‘रफ-टफ’ व दुर्गम परिस्थितियों में भी अधिक खिंचाव पैदा करके -कुशलता के साथ कार्य कर सके। खेतों में जुताई-बुआई के साथ-साथ इसकी ट्राली का उपयोग कृषि में काम आने वाले अन्य साधनों को खेतों तक पहुंचाने तथा खेतों से फसल व उसके उत्पादों को घरों, खलिहानों तथा बाजारों तक ले जाने में भी होता है। दुर्भाग्यवश या मजबूरीवश ट्रैक्टर / ट्रालियों का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल आवागमन के साधन के रूप में भी होने लगा है। प्रदेश में वर्ष भर में लगभग 8,650 ट्रैक्टर दुर्घटनाएँ होती हैं तथा इनसे लगभग 950 लोगों की मृत्यु होती है एवं लगभग 7,700 लोग घायल हो जाते हैं।

ट्रैक्टर से सर्वाधिक दुर्घटनाएँ ट्रैक्टर के पहियों का शरीर के किसी अंग पर चढऩे के कारण होती है; जिसके प्रमुख कारण ड्राईवर की लापरवाही, क्लच या ब्रेक का फेल होना या स्टीयरिंग का अनियंत्रित होना है। दूसरे प्रकार की दुर्घटनाएँ ट्रैक्टर अथवा ट्राली के पलटने पर लोगों के उसके नीचे दबने से (20 प्रतिशत), ट्रैक्टर/ट्राली में शरीर का कोई अंग फसने से (20 प्रतिशत) और ट्रैक्टर/ट्राली पर सवार लोगों के गिरने से ((17 प्रतिशत) होती हैं। कुछ दुर्घटनाएँ (9 प्रतिशत) ट्रैक्टर का किसी अन्य वाहन, व्यक्ति या वस्तु से टकराने से होती हैं। शेष (11 प्रतिशत) दुर्घटनाएँ अन्य कारणों से होती हैं।

सावधानियाँ एवं सुझाव
  • ट्रैक्टरों से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करने में उचित रखरखाव का बहुत महत्व है। यदि हम अपने ट्रैक्टर की समय-समय पर देखभाल करें तो ब्रेक, क्लच या स्टीयरिंग फेल होना अथवा अगले पहिये का एक्सल टूटना जैसी घटनाओं की संभावना काफी कम हो जाती है।
  • प्राय: देखा गया है कि ट्रैक्टर का सेल्फ खराब होने की स्थिति में ट्रैक्टर को किसी ढलान वाली सतह पर रखा जाता है और चार-पाँच लोग धक्का दे कर ट्रैक्टर स्टार्ट करते हैं। ऐसी परिस्थिति कई बार गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनती है। अत: ट्रैक्टर सेल्फ का उचित रखरखाव करें व बैटरी को नियमित रुप से चार्ज कराते रहें।
  • ट्रैक्टर चालित मशीनों या ट्राली को हमेशा समतल जगह पर ही रखें, ताकि जोडऩे व अलग करने में होने वाली अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।
  • ट्रैक्टर चालित मशीनों को ट्रैक्टर से जोड़ते समय सबसे पहले बांयें ओर की (स्थिर ऊँचाई वाली) लिंक को जोड़ें, फिर दायें ओर की (परिवर्तनीय ऊँचाई वाली) लिंक की ऊँचाई ऊपर-नीचे समायोजित करके जोड़ें। अंत में ऊपर वाली लिंक को आवश्यकतानुसार समायोजित करके जोड़ें। यंत्रों को अलग करते समय इसका उल्टा क्रम दुहरायें।
  • ट्राली को जोड़ते समय सबसे पहले ट्राली को स्टैन्ड पर खड़ा करें, फिर ट्रैक्टर को पीछे करें तथा स्टैन्ड की ऊँचाई घटा-बढ़ाकर ट्राली के साथ समायोजित कर पिन लगा दें। यदि आपकी ट्राली का स्टैन्ड नहीं है तो इसे अवश्य लगवा लें तथा उसमें ऊँचाई घटाने-बढ़ाने की व्यवस्था कर लें। ट्राली खोलते समय पहले इसे स्टैन्ड पर खड़ा करें, पिन निकाले फिर ट्रैक्टर को आगे बढ़ायें।
  • खेत के किनारे बने नालों के पास या उबड़-खाबड़ जमीन पर ट्रैक्टर चलाते समय अत्यधिक सावधानी रखें।
  • जहाँ तक सम्भव हो खेत में काम करते समय दूसरे व्यक्तियों को ट्रैक्टर पर न बैठने दें, ट्रैक्टर से जुड़ी मशीन पर तो कदापि नहीं।
  • चलते ट्रैक्टर पर चढऩा या उतरना अत्यंत घातक हो सकता है। मुख्य रूप से तब जब व्यक्ति का कपड़ा आदि ट्रैक्टर के किसी कलपुर्जें से उलझ जाता है और वह अपना संतुलन खो बैठता है। अत: ऐसा न करें।
  • ट्रैक्टर पलटने से ड्राईवर तथा ट्रैक्टर पर बैठे लोग इसके नीचे दब जाते है और उनकी मृत्यु हो जाती है। इससे बचाव हेतु रोलओवर प्रोटेक्टिव स्ट्रक्चर (आर.ओ.पी.एस.) का प्रयोग ट्रैक्टरों पर किया जाना चाहिए।
  • ट्राली के किनारों पर तथा ट्राली के हिच पर किसी को न बैठने दें।
  • खेतों के रास्तों तथा राजमार्गों पर ट्राली के साथ चलते समय सीमित गति में चलें। अनियंत्रित गति कई प्रकार की दुर्घटनाओं का कारण होती है।
  • ट्राली के पीछे का रंग हल्का जैसे सफेद या पीला रखें ताकि वह रात में भी दिखाई दे सकें। पीछे फलोरोसेन्ट (रात में चमकने वाला) रंग से दर्शाये अनुसार धीमी गति वाहन सूचक निशान ट्राली के दाहिने हिस्से पर लगायें जिससे रात्रि में तेज गति के वाहन एवं छोटे वाहन चालकों से होने वाली दुर्घटनाएँ न हों।
  •  ट्रैक्टर-ट्राली का प्रयोग रात्रि को भी होता हैं इसलिए ट्रालियों पर भी टर्निंग इंडीकेटर लाइट लगवायें।
  • ट्रैक्टरों में रात के समय डीजल की टंकी में डीजल की मात्रा देखने के लिए कभी-कभी माचिस या मोमबत्ती का उपयोग किया जाता है जो अत्यंत घातक दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसलिये भूलकर भी ऐसा न करें। यदि जरूरी हो तो ट्रैक्टर में डीजल मीटर लगवा लें या टार्च बैटरी का उपयोग करें।
  • प्रचालक को प्रतिदिन निम्नलिखित चीजों की जाँच करें।
  • टंकी में ईंधन के स्तर की जाँच तथा प्रदाय लाइन की जाँच।
  • रेडिएटर में पानी का स्तर
  • प्रचालक निर्देशिका के अनुसार उपयुक्त प्रचालन के लिए टायर में हवा के दबाव की जाँच।
  • टायर की स्थिति।
  • बैटरी में पानी का स्तर।
  • इंजन में संचरण तेल का स्तर।
  • वायु परिष्कारक में तेल का स्तर।
  • लाइटें।
  • ट्रैक्टर चलाने से पूर्व उचित प्रशिक्षण अवश्य लें एवं ट्रैक्टर प्रचालन हेतु आवश्यक लाइसेंस अवश्य बनवाएं। ट्रैक्टर चलाने में प्रशिक्षण हेतु केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल अथवा केन्द्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण व परीक्षण संस्थान, बुधनी से संपर्क करें। अत: ज्यादा से ज्यादा युवक इन प्रशिक्षणों में शामिल होकर कृषि दुर्घटनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
  • बच्चों को ट्रैक्टर न चलाने दें।
  • अत्याधिक थकान की स्थिति में ट्रैक्टर न चलायें।
  • शराब पीकर अथवा नशे की हालत में ट्रैक्टर न चलायें। ट्रैक्टर चलाते समय बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू आदि का सेवन न करें।

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