वेस्ट को बेस्ट बनाए देवपुत्र अमृत
सरकार और समाज के स्तर पर पशुधन खासकर गौ संरक्षण के सघन प्रयास किए जा रहे हैं पर यह अभियान तब ही सफल होगा जब गोबर से कम्पोस्ट खाद बड़े पैमाने पर बनने लगेगी। अभी तो पशुपालकों के लिये उन दुधारू पशुओं का लालन-पालन घाटे का सौदा है जो दूध देना बंद कर देते हैं।
श्री अहिल्या माता गौशाला केसरबाग इंदौर ने इसका व्यावहारिक हल खोजा है, यहां गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा है। गौशाला के सेक्रेटरी श्री पुष्पेन्द्र धनोतिया का कहना है कि देवपुत्र अमृत कम्पोस्ट खाद एक महीने से भी कम समय में बन जाता है। मजदूरी लागत भी कम है। देवपुत्र अमृत कम्पोस्ट खाद के वैज्ञानिक अध्ययन का निष्कर्ष है कि इस खाद में माइक्रोन्यूट्रीएंट्स और माइक्रोब्स भारी मात्रा में है। एक ग्राम खाद में 4 से 5 करोड़ बैक्टीरिया है। इससे पौधों की जड़ों का अच्छा पोषण और विकास होता है।
कृषि वैज्ञानिक श्री अरूण चौरे के अनुसार रसायनिक खेती ने भूमि की उर्वराशक्ति नष्ट कर दी है। 40 साल पहले खेतों में कार्बन की मात्रा 5 प्रतिशत होती थी जो अब 0.05 फीसदी ही रह गई है। इसके कारण फसल में न तो स्वाद बचा है और न ही गुणवत्ता। भूमि की उर्वरता बचाने के लिए किसान गोबर इकट्ठा करते हैं और खेत में बिखेर देते हैं पर यह खाद अधपका होने से जमीन में दीमक का प्रकोप हो जाता है। कृषि भूमि की उर्वरता बचाने का साइंटिफिक और सुरक्षित तरीका है गोबर से कम्पोस्ट खाद बनाएं। सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक कृषि श्री सतीश अग्रवाल का कहना है कि देवपुत्र कम्पोस्ट खाद भूमि के लिये अमृत है। सरकार ने नाडेप और वर्मी कम्पोस्ट बनाने में समय और श्रम ज्यादा लगने से किसानों में लोकप्रिय नहीं हुआ। देवपुत्र एग्रो इनोवेटिव ने विकल्प के रूप में देवपुत्र अमृत लांच किया है। जो किफायती भी है और ज्यादा प्रभावी भी। यह दो स्तर पर लाभदायक है। एक कम्पोस्ट खाद बनने से यह केवल गोबर देने वाले पशुओं को उपयोगी बना देता है। दूसरे, कृषि भूमि की उर्वरता बढ़ाकर फसलोत्पादन भी बढ़ाता है।