फसल उत्पादों के संरक्षण पर ध्यान कब ?
विगत दिनों भारत सरकार के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने वर्ष 2016-17 की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 में खाद्यान्न फसलों का उत्पादन 1350.3 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के उत्पादन 1240.1 लाख टन से 110.2 लाख टन अधिक होगा। खाद्यान्न फसलों में यह वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में 8.89 प्रतिशत अधिक है। खरीफ में चावल उत्पादन 938.8 लाख होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के 913.1 लाख टन से 25.7 लाख टन अधिक होने की संभावना है। इसी प्रकार खरीफ में मोटे अनाजों का उत्पादन 324.5 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष 2015-16 में 271.7 लाख टन था। रबी की मुख्य खाद्यान्न फसल गेहूं का उत्पादन जो पिछले वर्ष 935.0 लाख टन था। इस वर्ष 2016-17 इसका लक्ष्य 965.0 लाख टन रखा गया है। वर्तमान में खेतों में गेहूं की फसल की परिस्थिति व मौसम को देखते हुए गेहूं का उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने की पूर्ण सम्भावना है। खाद्यान्न फसलों के अतिरिक्त दलहनी, तिलहनी तथा अन्य फसलों के उत्पादन के बढऩे की पूर्ण सम्भावना है। खरीफ दलहनी फसलों का उत्पादन जहां पिछले वर्ष 55.4 लाख टन हुआ था, वहीं इस वर्ष इसके 87.0 लाख टन होने की सम्भावना है। रबी दलहनी फसलों का उत्पादन पिछले वर्ष 109.3 लाख टन हुआ था वहीं इस वर्ष इनके उत्पादन का लक्ष्य 135.0 लाख टन रखा गया है। इस वर्ष तिलहनी फसलों के उत्पादन में एक सार्थक वृद्धि का अनुमान है जहां पिछले वर्ष तिलहनी फसलों का उत्पादन 165.9 लाख टन हुआ था वहीं इस वर्ष इसके 233.6 लाख टन होने की सम्भावना है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 40.81 प्रतिशत अधिक होगी।
उपरोक्त आंकड़ों से यह ज्ञात होता है कि भारतीय किसान ने उत्पादन की तकनीक में दक्षता प्राप्त कर ली है और वह हर वर्ष इसमें तकनीक परिवर्तित कर उत्पादन बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। अब केन्द्रीय व राज्य सरकारों का दायित्व बन जाता है कि वह फसल उत्पादों के भण्डारण तथा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था करें ताकि उत्पादित फसलें, मौसम व उचित भण्डारण के अभाव में बर्बाद न हो पायें। यहां 60 के दशक के प्रसिद्ध कीट विज्ञानी डॉ. एस. प्रधान की दूरदर्शिता याद आती है, जिन्होंने कहा था कि उत्पादन अनुसंधान से अधिक अब फसल संरक्षण पर अनुसंधान की आवश्यकता है, जिस पर सतत ध्यान देना समय की मांग है।