कृषि विकास में और प्रयास करने की आवश्यकता : श्री सिंह

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नई दिल्ली। खरीफ 2015 के लिए कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन गत दिनों नई दिल्ली में आयोजित किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने किया, कृषि राज्य मंत्री श्री एम के कुंदारिया ने भी सम्बोधित किया। कृषि एवं सहयोग विभाग में सचिव ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। कृषि उत्पादन आयुक्तों/ मुख्य सचिवों/ राज्य सरकारों की ओर से कृषि सचिवों, आईसीएआर एवं कृषि शोध व शिक्षा विभाग (डीएआरई) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कृषि एवं सहयोग विभाग तथा पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग, उर्वरक विभाग, नीति आयोग, नाबार्ड इत्यादि के अधिकारियों ने भी इस दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लिया।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि एवं उससे संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि एवं सहयोग विभाग ने अनेक सुधार लागू किए हैं और नीतिगत कदम उठाये हैं। राज्यों को और ज्यादा लचीलापन सुलभ कराने के लिए विभाग की मौजूदा योजनाओं को चार प्रमुख स्कीमों जैसे कृषोन्नति योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के दायरे में लाया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि देश के अनेक हिस्सों में सूखे जैसे हालात रहने और पिछले मानसून सीजन के दौरान बारिश के 12 फीसदी कम रहने के बावजूद हम 257.07 मिलियन टन अनाज का उत्पादन करने में सफल रहे हैं, जो वर्ष 2013-14 के दौरान हुए रिकॉर्ड अनाज उत्पादन से महज लगभग 3 फीसदी कम है। उन्होंने कहा कि किसानों को वाजिब मूल्यों का आश्वासन देने और कृषि आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार ने कुछ अहम कदम उठाते हुए कृषि उत्पादन के दो महत्वपूर्ण अवयवों जैसे कि मिट्टी (मृदा) और पानी पर ध्यान केन्द्रित किया है। मृदा की उर्वरा क्षमता में निरंतर बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने मृदा सेहत कार्ड योजना लांच की है, जिसमें वर्ष 2017 तक किसानों को 14 करोड़ मृदा सेहत कार्ड जारी करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक खेती अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजना शुरू की है। पानी का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने और हर खेत में इसे सुलभ कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को जल्द ही लांच किया जायेगा।

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