साइल साइंटिस्ट डॉक्टर रतन लाल को वर्ल्ड फ़ूड प्राइज 2020
साइल साइंटिस्ट डॉक्टर रतन लाल को वर्ल्ड फ़ूड प्राइज 2020
साइल साइंटिस्ट डॉक्टर रतन लाल को वर्ल्ड फ़ूड प्राइज 2020 – 11 जून 2020, डेस मोइंस (यूएसए)। भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ रतन लाल को वर्ष 2020 के लिए कृषि क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के समकक्ष प्रतिष्ठित ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ (वर्ल्ड फ़ूड प्राइज ) से सम्मानित किया गया है. उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए, छोटे किसानों की मदद कर वैश्विक खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने में योगदान देने के लिए यह पुरस्कार दिया गया गया है. 2020 के पुरस्कार घोषणा समारोह में अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पेओ और अमेरिकी एग्रीकल्चर सचिव सन्नी पेरड्यू के साथ वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन के अध्यक्ष बारबरा स्टिन्सन ने डॉक्टर रतन लाल के नाम की घोषणा की।
आपने कहा कि डॉक्टर लाल ने अपने पांच दशक से अधिक के करियर में मिट्टी की गुणवत्ता को बचाए रखने की नवीन तकनीकों को बढ़ावा देकर 50 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को लाभ पहुंचाया है, दो अरब से ज्यादा लोगों की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार किया है और करोड़ों हेक्टेयर प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित किया है.
आयोवा स्थित फाउंडेशन ने कहा, “भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक, डॉ रतन लाल को खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए मृदा केंद्रित बेहतर कृषि पद्धति विकसित करने और उसे मुख्यधारा से जोड़कर प्राकृतिक संसाधनों को बरकरार एवं संरक्षित रखने तथा जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए 2020 का विश्व खाद्य पुरस्कार दिया जाएगा.”
डॉक्टर लाल ने घोषणा के बाद कहा, “मृदा विज्ञान को इस पुरस्कार से पहचान मिलेगी. मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं.” उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार विशेष तौर पर इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि 1987 में इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ एम.एस. स्वामीनाथन थे, जो भारतीय हरित क्रांति के जनक थे. उन्होंने कहा कि कठोर मौसमी परिस्थितियों के कारण भारत जैसे देश में मिट्टी की गुणवत्ता घटने की आशंका अधिक रहती है. डॉक्टर लाल की अनुशंसित की गई कृषि पद्धतियाँ अब उष्णकटिबंधीय और विश्व स्तर पर कृषि प्रणालियों को बेहतर बनाने के प्रयासों के केंद्र में हैं।
डॉक्टर लाल के मृदा आधारित मॉडल से संकेत मिलता है कि मृदा स्वास्थ्य को बहाल करने से वर्ष 2100 तक कई लाभ हो सकते हैं, जिसमें दुनिया की बढ़ती आबादी के लिए वैश्विक वार्षिक अनाज की उपज को दोगुना करना शामिल है, जबकि अनाज की खेती के तहत भूमि क्षेत्र में 30 प्रतिशत की कमी और कुल उर्वरक का उपयोग भी आधा हो सकता है। इनको अमल में लाने से किसानों, खाद्य उपभोक्ताओं और पर्यावरण को बहुत लाभ होगा। वैश्विक तापमान को बनाए रखने और पर्यावरण को बहाल करने के लिए मिट्टी और कृषि का सतत प्रबंधन भी आवश्यक है। ”