राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ में कार्यशाला आयोजित

12 अगस्त 2024, टीकमगढ़: कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ में कार्यशाला आयोजित – कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ में गत दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली में फसलों की 109 नई किस्मों के विमोचन पर एक कृषक कार्यालय आयोजित की  गई । इस कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी.एस. किरार, आत्मा परियोजना संचालक श्री भरत राजवंशी, वैज्ञानिक डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. सत्येंद्र कुमार, डॉ. एस.के. जाटव, डॉ. आई.डी. सिंह, हंसनाथ खान, जयपाल छिगारहा, मनोहर लाल चढार, सुदीप रावत, 79 कृषक एवं कृषि छात्रों ने भाग लिया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न एग्री क्लाइमेटिक जोन में  भोगौलिक  एवं वातावरण के आधार पर विकसित की  गई हैं। दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन ने कृषि में फसल उत्पादकता और उत्पादन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। जिला टीकमगढ़ बुन्देलखण्ड के सूखे और शुष्क जिलों की श्रेणी में आता है, जहाँ कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ डॉ. बी.एस. किरार, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख के नेतृत्व में नई किस्मों का जिले में प्रशिक्षण, प्रदर्शन एवं प्रक्षेत्र परीक्षण द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इसी तारतम्य में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की 109 नई बायोफोर्टीफाइड किस्मों का विमोचन किया गया। जिले के किसानों को इन नई किस्मों से अवगत कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं कृषि के विषय पर किसानों की कार्यशाला आयोजित की गयी। डॉ. किरार ने कार्यशाला में नई किस्मों के महत्व एवं फायदों पर प्रकाश डाला और बदलते परिवेश में नई बायोफोर्टीफाइड एवं क्लाइमेट रेजिलिएंट किस्मों का जिले के जलवायु क्षेत्र में आवश्यकता पर विस्तार से बताया।

आई.सी.ए.आर. की  विमोचन हुई किस्मों में धान की 9, गेहूं की 2, जौ की 1, रागी की 1, मक्का की 6, ज्वार की 1, बाजरा की 1, छीना की 1, सावाँ की 1, अरहर की 2, चने की 2, मसूर की 3, मटर की 1, मूंग की 2, तिलहन की 7, चारे की 7, गन्ने की 7, कपास की 5, जूट की 1, बागवानी की 40 किस्में किस्में शामिल हैं। इन धान के बीजों की ऐसी किस्में भी शामिल हैं, जिनमें पानी की खपत मौजूदा बीजों की तुलना में 20 फ़ीसदी कम हो जाएगी।
डॉ. एस.के. जाटव वैज्ञानिक द्वारा बताया गया कि ये नई किस्में मानव स्वास्थ्य के लिए सीधा फायदा करेंगी क्योंकि ये किस्में पोषक तत्वों से भरपूर हैं और जो कुपोषण को दूर करने में सकारात्मक कार्य करेंगी साथ ही जलवायु में जो परिवर्तन हो रहे हैं उनके प्रति सहनशील एवं अधिक उत्पादन देने वाली हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आर.के. प्रजापति द्वारा किसानों को बताया कि जो नई किस्में विमोचन हो रही हैं, ये किस्में रोगों एवं कीटों के प्रति अधिक सहनशील होंगी, इनमें रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।

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