गंभीर अपराधों में पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय नहीं
28 जनवरी 2025, उज्जैन: गंभीर अपराधों में पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय नहीं – उज्जैन शहर हो या जिले का अन्य कोई शहर, अमुमन किसी महिला के साथ अपहरण, दुष्कर्म या फिर छेड़छाड़ जैसी घटनाएं होती रहती है और इसकी शिकायत भी संबंधित पुलिस थाने में की जाती है बावजूद इसके महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन की गंभीरता और संवेदनशीलता दिखाई नहीं देती है क्योंकि गंभीर अपराधों में पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय नहीं मिल पा रहा है।
यदि प्रदेश स्तर की बात की जाए तो बीते वर्ष 2024 के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की 15, अपहरण व बंधक बनाने की 31 और छेड़छाड़ की 20 घटनाएं हुईं। लेकिन विडंबना यह है कि दुष्कर्म सहित अन्य गंभीर अपराधों में बेटियों और महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि लगभग 21 प्रतिशत मामलों में ही आरोपियों को सजा हो पाती है। दरअसल, प्रदेश पुलिस में लगभग 25 हजार विवेचना अधिकारी हैं, जबकि प्रदेश में लगभग पांच लाख अपराध प्रतिवर्ष कायम हो रहे हैं। इनमें 30 हजार से अधिक अपराध महिलाओं के विरुद्ध होते हैं। प्रदेश में पुलिस का स्वीकृत बल एक लाख 26 हजार का है, जबकि पदस्थ मात्र एक लाख ही हैं। विवेचना का अधिकार प्रधान आरक्षक या ऊपर के पुलिसकर्मी को रहता है। लगभग साढ़े आठ करोड़ की जनसंख्या वाले मध्य प्रदेश में बीते वर्ष नवंबर तक बालिकाओं और महिलाओं के अपहरण और बंधक बनाने के 10 हजार 400 मामले सामने आए। यानी हर दिन 31 घटनाएं हो रही हैं। कहने को तो घटना से एक महिला प्रभावित होती, पर सच्चाई यह है कि पूरा परिवार और हर वह महिला भयग्रस्त हो जाती है, जिसे घटना के बारे में पता लगता है। वर्ष 2022 से 2024 के बीच अपहरण और बंधक बनाने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। महिला सुरक्षा के मामले में पुलिस को जिस संवेदनशीलता से काम करना चाहिए वह नहीं दिखता। प्रदेश में कई ऐसे उदाहरण हैं कि पीडि़ता की थाने में सुनवाई नहीं हुई। दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ते हुए वर्ष 2024 में पांच हजार से ऊपर पहुंच गईं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले भले ही पिछले वर्षों की तुलना में घटे हैं ,पर घटनाएं 200 से अधिक हैं। सरकार, समाज, जनप्रतिनिधि, पुलिस संबंधित विभागों को विशेष नीतियों और अभियानों के माध्यम से महिला सुरक्षा में आ रही चुनौतियां से निपटना होगा, नहीं तो दावे सिर्फ दावे रह जाएंगे।
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