’प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती’
22 दिसम्बर 2022, बुरहानपुर: ’प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती’ – प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती है, आने वाला समय प्राकृतिक कृषि का है। प्राकृतिक कृषि से हम स्वयं और समाज को रोग मुक्त रख सकते हैं । वर्तमान में आवश्यकता है कि प्राकृतिक कृषि के प्रति किसानों को जागरूक किया जाये, जिससे वे खेती की लागत को कम कर सकें एवं उत्पादन में वृद्धि कर सकें।
प्राकृतिक खेती के मुख्य पांच स्तंभ होते हैं जैसे-बीजामृत, जीवामृत, आच्छादन, वाफ्सा और सह-फसल इसी संबंध में आत्मा द्वारा ग्राम गुलई में किसानों को प्रशिक्षण दिया गया। आत्मा के बी.टी.एम. श्री विशाल पाटीदार ने प्राकृतिक खेती पर विस्तृत चर्चा की एवं जीवामृत कैसे तैयार किया जाता है, के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीवामृत बनाने में 200 लीटर वाला प्लास्टिक का ड्रम, 10 किलो देशी गाय का गोबर, 10 लीटर गौमूत्र, 1 किलो बेसन या किसी भी दाल का आटा, 1 किलो गुड़ और किसी पेड़ के नीचे की लगभग 50 ग्राम मिट्टी सभी को घोलकर लकड़ी के डन्डे से सुबह शाम घड़़ी की सुई की दिशा में घुमाना है, ऐसे एक सप्ताह तक करें, उसके बाद फसलों में जीवामृत का उपयोग किया जा सकता है। इस अवसर पर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सुश्री कनक ससाने, सरपंच सहित कृषकगण मौजूद थे ।
महत्वपूर्ण खबर: कपास मंडी रेट (19 दिसम्बर 2022 के अनुसार)
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम )