राज्य कृषि समाचार (State News)

मूंग-उड़द के बंपर उत्पादन के लिए क्या करें? राजस्थान कृषि विभाग ने किसानों को दिए ये जरूरी टिप्स

01 जुलाई 2025, अजमेर: मूंग-उड़द के बंपर उत्पादन के लिए क्या करें? राजस्थान कृषि विभाग ने किसानों को दिए ये जरूरी टिप्स – खरीफ सीजन में दलहनी फसलों जैसे मूंग, उड़द, चंवला और मोठ की बुवाई जोरों पर है। ऐसे में अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफे के लिए राजस्थान कृषि विभाग के तबीजी फार्म के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। ये उपाय आसान भी हैं और लागत भी कम करते हैं।

बीज और मृदा उपचार है सबसे जरूरी

तबीजी फार्म के कृषि अनुसंधान अधिकारी (उद्यान) उपवन शंकर गुप्ता ने बताया कि दलहनी फसलें जड़ों के जरिये वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करती हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। बीजों को बोने से पहले फफूंदनाशी, कीटनाशी और राइजोबियम कल्चर से जरूर उपचारित करना चाहिए। इससे बीज फफूंद और कीड़ों से सुरक्षित रहते हैं और अंकुरण बेहतर होता है।

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जैविक खाद और ट्राइकोडर्मा का उपयोग करें

सुरेंद्र सिंह ताकर (पौध व्याधि विशेषज्ञ) के अनुसार, जड़ गलन रोग से बचने के लिए बुवाई से पहले 2.5 किग्रा ट्राइकोडर्मा को 100 किग्रा गोबर की खाद में मिलाकर 15 दिन छायादार जगह पर रखें। फिर इस मिश्रण को खेत में समान रूप से फैलाएं।

सही दवा और मात्रा से करें बीजोपचार

डॉ. जितेंद्र शर्मा ने बताया कि मूंग के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 5 ग्राम थायोमेथोक्जाम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। वहीं, उड़द के बीजों को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मिश्रित दवा (3 ग्राम कार्बेन्डाजिम + मैन्कोजेब) से उपचारित करना चाहिए। इसके बाद राइजोबियम कल्चर को 1 लीटर पानी + 125 ग्राम गुड़ में मिलाकर 600 ग्राम कल्चर डालें और बीजों पर एक समान लेप करें।

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मृदा परीक्षण के अनुसार ही डालें खाद

डॉ. कमलेश चौधरी ने सलाह दी कि बिना मृदा जांच के खाद डालना हानिकारक हो सकता है। सामान्यतः बुवाई से पहले 32 किलो यूरिया + 250 किलो एसएसपी या 87 किलो डीएपी प्रति हेक्टेयर की दर से कतारों में दें।

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बीज की मात्रा का रखें ध्यान

रामकरण जाट (शस्य वैज्ञानिक) के अनुसार:
मूंग व चंवला: 15-20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर
उड़द: 12-15 किलो बीज प्रति हेक्टेयर

खरपतवार नियंत्रण से बचाएं फसल

बुवाई के तुरंत बाद पेंडिमिथालीन 30 EC और इमीजाथापर 2 EC दवाओं के मिश्रण का छिड़काव करें। इससे अंकुरण से पहले ही खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं। जरूरत पड़ने पर 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई भी करें।

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