कश्मीर के सेब की फसल पर मौसम की मार
अस्सी प्रतिशत आबादी सेब की फसल से जुड़ी हुई है
19 अक्टूबर 2024, भोपाल: कश्मीर के सेब की फसल पर मौसम की मार – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी के मौसम में भी बढ़ोतरी हुई है जिसका प्रभाव सेब उत्पादन पर देखा जा रहा है. उत्तरी कश्मीर के शोपियां जिले के एक सेब किसान ने बताया कि जिले की 95 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेब की फसल से जुड़ी है और सेब की फसल जिले के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है.
कश्मीर में किसान आजकल सेब की कटाई में व्यस्त हैं, लेकिन उत्पादन में कमी को लेकर बहुत चिंतित हैं. इस साल सेब उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है. यह कमी 2.05 लाख मीट्रिक टन तक रह सकती है. 2023 में सेब का उत्पादन 21.46 लाख मीट्रिक टन रहा था. किसानों का मानना है कि उत्पादन में गिरावट कई कारणों से है, जिसमें मौसम में अचानक गड़बड़, बिना मौसम वसंत का आना, ओलावृष्टि और घाटी में लंबे समय तक सूखा पड़ना शामिल है.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गर्मी के मौसम में भी बढ़ोतरी हुई है जिसका प्रभाव सेब उत्पादन पर देखा जा रहा है. उत्तरी कश्मीर के शोपियां जिले के एक सेब किसान लतीफ मलिक ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि जिले की 95 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेब की फसल से जुड़ी है और सेब की फसल जिले के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है.
हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें अप्रत्याशित मौसम की स्थिति, खेती की बढ़ती लागत और बाजार में सेब की फसल की कम मांग’ शामिल हैं. लतीफ मलिक ने कहा कि कई किसान घाटी में अपनी सेब की फसल के लिए सरकार से फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग करते हैं. सामान्य रूप से बागवानी क्षेत्र और विशेष रूप से सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जम्मू-कश्मीर की 60 प्रतिशत आबादी के लिए प्रमुख स्रोत है.
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