राज्य कृषि समाचार (State News)

पंजाब के किसानों के लिए चेतावनी: धान की फसल पर फिजी वायरस का अटैक, PAU ने बताए बचाव के उपाय

17 जुलाई 2025, भोपाल: पंजाब के किसानों के लिए चेतावनी: धान की फसल पर फिजी वायरस का अटैक, PAU ने बताए बचाव के उपाय – पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) ने किसानों को धान की फसल में फिजी वायरस (Southern Rice Black-streaked Dwarf Virus – SRBSDV) के बढ़ते खतरे को लेकर सतर्क किया है। विश्वविद्यालय ने किसानों से कहा है कि वे इस वायरस के लक्षणों को पहचानें और समय पर फसल की जांच कर बचाव के उपाय करें, ताकि फसल की बर्बादी से बचा जा सके।

PAU के मुताबिक, फिजी वायरस ने वर्ष 2022 के खरीफ सीजन में पंजाब के कई जिलों में भारी नुकसान पहुंचाया था। फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, होशियारपुर, लुधियाना, पठानकोट, एसएएस नगर और गुरदासपुर में इस बीमारी ने धान की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया था।

Advertisement
Advertisement

फिजी वायरस के क्या है लक्षण?

पौधों के बौनेपन की समस्या इस वायरस का मुख्य लक्षण है। संक्रमित पौधों की पत्तियां लंबी, पतली और खड़ी हो जाती हैं। पौधों की जड़ों और शाखाओं का विकास रुक जाता है और पौधों की ऊंचाई सामान्य से आधी या एक-तिहाई रह जाती है। कई बार पौधे समय से पहले सूख जाते हैं, जिससे पैदावार में भारी गिरावट आती है।

समय रहते पहचानें बीमारी, तुरंत दें जानकारी

PAU के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पीएस संधू ने कहा कि वायरस का संक्रमण जल्दी पहचानना बहुत जरूरी है। किसानों से अपील की गई है कि यदि उन्हें अपने खेत में ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या सीधे PAU से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की टीम लगातार सर्वे कर रही है और अब तक किसी नर्सरी में वायरस का केस सामने नहीं आया है। लेकिन सतर्क रहना जरूरी है।

Advertisement8
Advertisement

कौन फैलाता है वायरस?

इस वायरस को मुख्य रूप से व्हाइट बैक प्लांटहॉपर (WBPH) नामक कीट फैलाता है। PAU के प्रमुख कीट वैज्ञानिक डॉ. केएस सूरी ने किसानों को सलाह दी कि वे धान की नर्सरी और खेतों में हर हफ्ते निरीक्षण करें। पौधों को झुका कर या हल्का झटका देकर देखें कि पानी की सतह पर सफेद पीठ वाले प्लांटहॉपर गिरते हैं या नहीं।

Advertisement8
Advertisement

कीटनाशकों के छिड़काव की सलाह

यदि WBPH कीट पाए जाते हैं तो किसानों को तुरंत विश्वविद्यालय द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का प्रयोग करने को कहा गया है। इनमें शामिल हैं:
1. पेक्सालॉन 10SC (ट्रिफ्लुमेजोपायरीम) – 94 मिली प्रति एकड़
2. उलाला 50WG (फ्लोनिकैमिड) – 60 ग्राम प्रति एकड़
3. ओशीन/डोमिनेंट/टोकन 20SG (डाइनोटेफ्यूरान) – 80 ग्राम प्रति एकड़
4. इमेजिन 10SC/वायोला 10SC (फ्लूप्रिमिन) – 300 मिली प्रति एकड़
5. ऑर्केस्ट्रा 10SC (बेंजपायरीमॉक्सन) – 400 मिली प्रति एकड़
6. चेस 50WG (पाइमेट्रोज़ीन) – 120 ग्राम प्रति एकड़

इन दवाइयों को 100 लीटर पानी में घोलकर पौधों की जड़ की तरफ फ्लैट-फैन या खोखली शंकु नोजल से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। डॉ. सूरी ने चेताया कि बिना जरूरत के कीटनाशक का ज्यादा इस्तेमाल करने से कीट प्रतिरोधक बन सकते हैं और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।

जिंक की कमी भी बन सकती है वजह

PAU के निदेशक डॉ. एमएस भुल्लर ने बताया कि पौधों के बौनेपन का कारण सिर्फ वायरस नहीं बल्कि जिंक की कमी भी हो सकती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि किसी भी उपचार से पहले विशेषज्ञों की सलाह लेकर सटीक पहचान करें।

खेत में ही होगी बीमारी की जांच

PAU के अनुसंधान निदेशक डॉ. एएस ढट्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक खेतों में जाकर खुद जांच कर रहे हैं। सिर्फ धान ही नहीं बल्कि खेतों में उगने वाले अन्य खरपतवार और पौधों पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि वायरस का प्रसार रोका जा सके।

किसानों के लिए सुझाव

डॉ. ढट्ट ने कहा कि किसान नियमित रूप से PAU की एडवाइजरी और बुलेटिन देखते रहें। खेतों में पौधों की जांच करते रहें और किसी भी समस्या की जानकारी तुरंत विशेषज्ञों को दें। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि PAU किसानों की मदद के लिए पूरी तरह तैयार है और किसी भी संकट से उबारने के लिए हर कदम उठाएगा।

Advertisement8
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement