दियारा खेती: भारत की नदियों के किनारे कृषि प्रणाली
दियारा खेती की संभावनाएँ और समाधान
लेखक: हरीश बाथम (एम.एस.सी. (कृषि) एग्रोनॉमी स्कॉलर), कृषि विद्यालय, विक्रांत विश्वविद्यालय, ग्वालियर, डॉ.सचिन कुमार सिंह (सहायक प्रोफेसर), अरुण साहू (सहायक प्रोफेसर), डॉ. हिरदेश कुमार (सहायक प्रोफेसर)
06 फ़रवरी 2025, भोपाल: दियारा खेती: भारत की नदियों के किनारे कृषि प्रणाली – सिंचाई और जल प्रबंधन: यदि दियारा क्षेत्रों में बेहतर सिंचाई और जल प्रबंधन की व्यवस्था की जाए, तो यहाँ की कृषि में बड़ा सुधार हो सकता है। उदाहरण के लिए, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर तकनीकों का उपयोग कर पानी की बचत और अधिक उत्पादन किया जा सकता है। सरकार की योजनाएँ जैसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
फसल विविधीकरण: दियारा क्षेत्रों में सिर्फ पारंपरिक फसलों की बजाय, विविध प्रकार की फसलों की खेती की जा सकती है। सब्जियों, फलों और तिलहनों की खेती से किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। इसके साथ ही, जैविक खेती को भी प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
बाढ़ प्रबंधन: बाढ़ के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बाढ़ प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था करनी होगी। इसके तहत नदी के किनारों पर बाँध और तटबंध बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा, पानी की सही दिशा में निकासी सुनिश्चित करने के लिए नालों और जल निकासी प्रणालियों का निर्माण किया जा सकता है।
उर्वरक और कीटनाशक का सही उपयोग: दियारा क्षेत्रों में किसानों को उर्वरकों और कीटनाशकों के सही उपयोग के बारे में जागरूक किया जा सकता है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहेगी और उत्पादकता बढ़ेगी।
बाढ़ प्रबंधन: बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए बेहतर बाढ़ प्रबंधन रणनीतियाँ अपनाई जानी चाहिए। इसके लिए नदी के किनारों पर तटबंध बनाना, जल निकासी प्रणाली को सुधारना और किसानों को बाढ़ के समय की स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और उपकरणों का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इसके साथ ही, कृषि विशेषज्ञों की मदद से किसानों को बेहतर बीज, उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग करने के तरीके सिखाए जा सकते हैं।
सहकारिता और विपणन: दियारा क्षेत्रों के किसानों के लिए सहकारी समितियों का गठन किया जा सकता है, जिससे वे अपनी उपज को एकत्रित रूप से बेच सकें। इससे उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा और बाजार तक पहुँच भी आसान हो जाएगी।
सरकार की योजनाएँ और सहयोग
भारत सरकार और राज्य सरकारें कई योजनाओं के माध्यम से दियारा क्षेत्र के किसानों की मदद कर रही हैं। कुछ प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं-
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): इस योजना के तहत किसानों की फसलों का बीमा किया जाता है ताकि उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई मिल सके। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए यह योजना बहुत फायदेमंद है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ((PMKSY): इस योजना का उद्देश्य किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएँ प्रदान करना है। दियारा क्षेत्रों में पानी की कमी की समस्या को हल करने के लिए इस योजना के अंतर्गत सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
किसान के्रडिट कार्ड (KCC): इसके माध्यम से किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है, जिससे वे अपनी खेती की जरूरतों को पूरा कर सकें।
जैविक खेती मिशन: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को सहायता प्रदान करती हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
दियारा खेती के विकास की दिशा में सुझाव
किसानों की शिक्षा और प्रशिक्षण: नई तकनीकों के उपयोग के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे जल संरक्षण, फसल प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थायित्व के महत्व को समझ सकें।
सरकार की सहायता और योजनाएँ: सरकार को डायरा क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए, जैसे जल प्रबंधन, सिंचाई सुविधाओं का विकास और किसानों को आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता।
पारिस्थितिकीय खेती: पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर रुख करना चाहिए, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सके और कृषि को अधिक स्थिर बनाया जा सके।
निष्कर्ष (Conclusion):
दियारा खेती बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की एक अनूठी कृषि प्रणाली है, जो भारत के नदियों के किनारे वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह खेती स्थानीय किसानों को प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग द्वारा अपने जीवन यापन में सुधार करने का अवसर प्रदान करती है। हालांकि, इसके साथ कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं, लेकिन सही प्रबंधन और तकनीक के साथ यह भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है
दियारा खेती में आधुनिक तकनीकों का समावेश पर्यावरण संरक्षण और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की उर्वरता और जल संसाधनों के सही प्रबंधन के साथ, दियारा खेती न केवल किसानों की आजीविका को मजबूत कर सकती है, बल्कि पर्यावरण को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। नई तकनीकों को अपनाकर यह खेती और अधिक स्थिर और लाभकारी हो सकती है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: