वायरस अटैक से बचने के लिए किसानों ने चुना क्रॉप कवर का विकल्प
अहीर धामनोद के सब्जी उत्पादक किसान नवाचार कर लिया लाभ
30 दिसम्बर 2022, खरगोन: वायरस अटैक से बचने के लिए किसानों ने चुना क्रॉप कवर का विकल्प – अधिक उत्पादन के लिए अत्यधिक मात्रा में रसायनों का छिड़काव से खाद्य उत्पादन की शुद्धता तो प्रभावित होते ही है। लेकिन इसका बुरा प्रभाव भूमि की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ फसलों होने वाली पर अनावश्यक रोग बीमारियों से भी पड़ता है। साथ ही अत्यधिक कीटनाशकों के छिड़काव से फसल लागत पर तो पड़ता ही है। इन सब प्रभावों से बचने के लिए कसरावद जनपद में अहिर धामनोद के किसान नवाचार कर ऐसी मुसीबतों से बचने का विकल्प चुना है। यहां के संजय राठौर और उनके भाई नवल राठौर तथा गिरधारी और देवराम राठौर क्रॉप कवर का अच्छा उपयोग कर रहे हैं। संजय राठौर ने बताया कि 4 वर्षाें से क्रॉप कवर का उपयोग कर मिर्च, करेला और गिलकी की सब्जी में करते आ रहे हैं। इसके उपयोग से वायरस का अटैक नहीं हो पाया है। किसानों को क्रॉप कवर का सबसे ज्यादा लाभ वायरस अटैक से बचने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
गरीब किसानों का मिनी हॉउस से 80 प्रतिशत कीटनाशक छिड़काव की हुई बचत
अहिर धामनोद के 45 वर्षीय नवल राठौर ने बताया कि क्रॉप कवर नहीं बल्कि ये गरीब किसानों के लिए ये मिनी पॉली हॉउस है। इसके उपगोग से वो 80 से 85 प्रतिशत तक छिड़काव कम कर दिया है। पिछले 3 वर्षों से वे गिलकी, मिर्च और करेला में प्रमुखता से इस विकल्प का प्रयोग कर अच्छा खासा मुनाफा और ज्यादा उत्पादन ले पा रहे हंै। नवल के ही छोटे भाई संजय ने बताया कि पिछले वर्ष करेला की फसल से कवर उड़ जाने से करीब 4 से 5 लाइन के उत्पादन क्षमता और बहुत ज्यादा फर्क देखा। इससे भी उन्हें कवर और बिना कवर की फसल में मुनाफे में अंतर मालूम हुआ।
क्रॉप कवर के फायदे
संजय राठौर के अनुसार क्रॉप कवर सुरक्षा कवच से कम नहीं है। यह कवर पौधों को कीटों और धूप से बचाने के साथ ही उन्हें तेज धूप में जलने से बचाता है। इसके साथ ही 45 डिग्री तापमान में भी पौधों के आसपास नमी बनाए रखता है। पौधे की ऊंचाई 5 फीट तक होने तक पौधे को क्रॉप कवर में रखा जा सकता है।
तेज धूप से पौधों को सुरक्षित रखता है। पौधे के अंदर नमी बनी रहती है, जिससे ग्रोथ अच्छी होती है। इस तकनीक के अपनाने से पारा 10 से 15 डिग्री तक कम हो जाता है। क्रॉप कवर से किसी प्रकार के कीट पौधे को नुकसान नहीं पहुंचते। कीटों से सुरक्षित रहने के कारण कीटनाशक दवाइयों का उपयोग कम होता है।
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