State News (राज्य कृषि समाचार)

सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह

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04 सितम्बर 2023, इंदौर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह – भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर द्वारा (4-10 सितम्बर 2023 ) की अवधि के लिए सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह दी गई है। जो इस प्रकार है –

अ . सूखे की स्थिति में फसल प्रबंधन की सलाह

सोयाबीन की खेती किये जाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में फसल ने लगभग 55-75 दिन की अवधि पूर्ण की है एवं कुछ क्षेत्रों में यह फसल  फूल आने,  फलियां  बनने या दाने भरने की अवस्था में है।  विगत अगस्त माह के दौरान वर्षाजल की कमी से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान जैसे प्रमुख राज्यों में लगभग 20-30 दिनों के सूखे की विषम स्थिति से प्रभावित हो रही है , ऐसे में सोया कृषक निम्न सलाह को अपनाएं –

1. नमी क्षरण को रोकने हेतु भूमि में आ रही दरारों को मल्च की पलवार  लगाएं ।

2. फूल आने या फलियों में दाने भरने की स्थिति सोयाबीन फसल में सूखे के लिए सबसे नाजुक होती है,अतः भूमि में  दरारें  आने से पहले या प्रारंभिक अवस्था में ही उपलब्ध होने पर वरीयता क्रम के अनुसार स्प्रिंकलर/ड्रिप/फ्लड पद्धति से सिंचाई करें।

3. अन्य वैकल्पिक उपाय जैसे 5 टन/हे की दर से फसल में भूसे की पलवार लगाएं  या पोटाशियम नाइट्रेट (1%)अर्थात 500 लीटर पानी में 5 किग्रा/हे) या 5%मग्नेशियम कार्बोनेट/ग्लिसरॉल अर्थात 500 लीटर पानी में 25 किग्रा/हे या अन्य विकल्प जैसे थायोयूरिया (500 लीटर पानी में 375 ग्रा/हे) का  छिड़काव  की सलाह है।

4. शीघ्र समयावधि में पकने वाली सोयाबीन किस्मों की कटाई उपयुक्त समय पर 90% फलियों में दाने भरने की स्थिति में सुनिश्चित करें।

ब. कीट/रोग नियंत्रण के नियंत्रण हेतु सलाह

1. जहाँ पर  फसल 60-70 दिन की हो चुकी है, फलियों में दाना भर गया है, वहाँ कीट प्रकोप से अधिक नुकसान नहीं होगा, ऐसी अवस्था में कीट नाशक का उपयोग लाभदायक नहीं होगा, अतः फसल  की अवस्था और कीट प्रकोप की तीव्रता को संज्ञान में लेकर ही कीट प्रबंधन करें।

2. पत्ती खाने वाली तीनों इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) या इनमें से कोई एक इल्ली के साथ-साथ रसचूसने वाले कीट (सफ़ेद मक्खी/एफिड) एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव  करें।

3. फली भेदक इल्लियाँ विशेषकर चने की इल्ली या पत्ती खाने वाली इल्लियाँ जैसे सेमीलूपर/तम्बाकू की इल्ली का एक साथ प्रकोप हो या इनमे से किसी भी एक इल्ली का प्रकोप होने पर नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव  करें : इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी(150 मि.ली.) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250-300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50% एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे ) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या स्पायनेटोरम 11.7
एस.सी (450 मिली/हे केवल तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु), या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का छिड़काव   करे। इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ साथ फूल खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण  हो सकेगा।

4. वर्तमान में सोयाबीन फसल पर एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंदजनित रोगों का प्रकोप देखा जा रहा है । कृषकों को सलाह है कि फफूंदजनित रोगों से सुरक्षा हेतु अपनी फसल पर टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l +इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों में से किसी एक का सुरक्षात्मक छिड़काव करें।

5.जहाँ पर पीले मोज़ेक वायरस रोग के लक्षण देखे जा रहे हैं, कृषकों को सलाह है कि इसके प्रारंभिक लक्षण दीखते ही तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें एवं अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकीट्रैप लगाएं. एवं पीले मोज़ेक वायरस रोग को फ़ैलाने वाले वाहक कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अनुशंसितकीटनाशक एसिटेमीप्रीड25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिड़काव करें. इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिड़काव  किया जा सकता है। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

 स. अन्य सुरक्षात्मक उपाय/सामान्य सलाह

1 तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच लगाये. इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ है यह सुनिश्चित करें।

2 जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0  ली./हेक्टे) का छिड़काव करें।

3 कीटभक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाएं। इससे कीटभक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।

4 वायरस जनित पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजेक रोगों से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रसचूसक कीट सफ़ेद मक्खी/जासिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

5. सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के छिड़काव में पर्याप्त पानी की मात्रा (नेप्सेक स्प्रेयर  या ट्रैक्टर  चलित स्प्रेयर  से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।

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