आयकर अपीलीय अधिकरण से मिला किसान को इन्साफ
4 जुलाई 2022, इंदौर: आयकर अपीलीय अधिकरण से मिला किसान को इन्साफ – यूँ तो कृषि से अर्जित आय पूर्णतः आयकर मुक्त है,लेकिन कभी-कभी ऐसे मामले भी सामने आ जाते हैं, जो नज़ीर बन जाते हैं। ऐसा ही एक मामला हरदा के एक किसान का सामने आया है, जिसमें किसान द्वारा नोटबंदी के समय अपने खाते में 15 लाख नकद जमा किए गए थे, जिस पर आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस जारी कर आय दर्शाने के लिए खेती से जुड़े बिल और भुगतान वाउचर मांगे। किसान द्वारा सभी प्रमाण पेश नहीं किए जाने पर आयकर विभाग ने उन पर पेनल्टी लगा दी। इस कार्रवाई के खिलाफ आयकर अपीलीय अधिकरण , इंदौर न्याय पीठ (इन्कम टैक्स ट्रिब्यूनल )में अपील की गई। ट्रिब्यूनल ने इंसाफ करते हुए किसान के हक़ में यह अहम फैसला दिया कि आय के अन्य स्रोत न होने पर किसान के पास उपलब्ध संपत्ति को कृषि से हुई आय ही माना जाएगा। इस फैसले से सैकड़ों किसानों को राहत मिल गई है।
इस बारे में हरदा के उन्नत एवं जागरूक किसान श्री मधुसूदन धाकड़ ने कृषक जगत को बताया कि नोटबंदी के दौरान उन्होंने अपने खाते में 15 लाख रुपए नकद जमा किए थे, इस पर आयकर विभाग ने नोटिस जारी कर आय दर्शाने के लिए उनसे खेती से जुड़े सभी बिल और भुगतान वाउचर मांगे, जबकि मैंने कई दस्तावेज देकर अपने हलफनामे में स्पष्ट किया कि खेती के अलावा मेरा अन्य कोई कार्य नहीं है। समय -समय पर सब्जी व अन्य कृषि उपज बेची जाती है। इस कार्य का मैंने कोई हिसाब -किताब नहीं रखा है। उनकी बिक्री की राशि नकद में भी मिलती है और बैंक में भी जमा होती है। मेरे सभी बैंक खातों और केसीसी खातों से भी राशि निकाली और जमा की जाती है एवं एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर होकर जमा भी होती है। इसके अलावा कृषि की उपलब्धियां, पुरस्कार और प्रमाण भी दिए, फिर भी आयकर विभाग ने उन पर 77 % की पेनल्टी लगा दी। इस फैसले को चुनौती देते हुए श्री धाकड़ द्वारा सीए श्री मिलिंद वाधवानी के ज़रिए इन्कम टैक्स ट्रिब्यूनल में अपील की गई ,जिसमें दलील दी गई कि कृषि कार्य में कई तरह के खर्च होते हैं , जिनके बिल मिलना सम्भव नहीं है, क्योंकि अधिकांश खर्च नकद किए जाते हैं, जिस पर आयकर में कोई रोक नहीं है। दूसरी बात यह कि आयकर विभाग में मामलों की छंटनी दो से तीन साल बाद होती है , ऐसी दशा में किसान लम्बे समय तक खर्चों के बिल संभालकर नहीं रख सकता है। बिल और प्रमाणकों के अभाव में कृषि आय को अमान्य नहीं किया जा सकता है।
इन्कम टैक्स ट्रिब्यूनल की इंदौर पीठ के जुडिशियल मेंबर सुचित्रा कांबले और एकाउंटेंट मेंबर बीएम बियानी ने वादी के सीए के तर्कों से सहमत होते हुए माना कि भारत में कृषि का बाज़ार अनियंत्रित होने के कारण किसान के पास खेती से जुड़े खर्चों के सिर्फ बिल के नहीं होने से इसे कृषि आय नहीं मानना गलत है। पीठ ने निर्णय दिया कि यदि किसी किसान की आय का कोई और स्रोत नहीं है, तो उसके पास मिली सम्पत्ति को कृषि से हुई आय ही माना जाएगा ,कर मुक्त होने से इस पर कोई कर नहीं लगेगा। ट्रिब्यूनल के इस फैसले से कई किसानों को राहत मिल गई है , जिनके मामले आयकर विभाग के इंदौर, उज्जैन और खंडवा क्षेत्र में चल रहे हैं।
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