मप्र में पहली बार पैशन फ्रूट की फसल लेने की अनूठी पहल
10 जनवरी 2025, इंदौर: मप्र में पहली बार पैशन फ्रूट की फसल लेने की अनूठी पहल – स्वर्गीय दुष्यंत का एक मशहूर शेर है कि – कौन कहता है कि आसमां में सुराख़ नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। यह शेर लोगों को कुछ अलग कार्य करने का जोश दिलाता है। अमूमन इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंदौर निवासी श्रीमती स्वाति नामदेव ने महू के पास एक बीघा ज़मीन पर पैशन फ्रूट ( कृष्णकमल फल या कृष्णा फल ) की फसल लेने की अनूठी पहल की है, जो सम्भवतः मप्र में पहली बार ली जा रही है।
लीक से हटकर अलग करने की कोशिश – विभिन्न कंपनियों में कम्पनी सेक्रेटरी और विधि स्नातक रह चुकीं श्रीमती स्वाति नामदेव ने पैशन फ्रूट की फसल की पहल को लेकर कृषक जगत से विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि पति श्री हिमांशु नामदेव कंटेनर कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, दिल्ली में लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं । स्वयं के जॉब के लिए इंदौर और मुंबई भी जाना पड़ा । बार -बार जगह बदलने से स्वयं का कार्य भी प्रभावित हो रहा था, तो नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 2022 में महू के पास स्थित ग्राम अवलाई में जब एक बीघा ज़मीन खरीदी थी , तभी सोच लिया था कि कृषि क्षेत्र में लीक से हटकर कुछ अलग करना है। अक्टूबर 2022 में आम बाग इंदौर से पैशन फ्रूट के दो पौधे खरीदकर खेत में लगाए थे । अक्टूबर 2023 में उनकी दो बेलों पर पहली बार लगे फल को जब चखा तो अद्भुत स्वाद मिला। तभी ठान लिया था कि अब इसकी ही खेती करनी है। इसके दो कारण थे , एक तो यह इंदौर में नहीं मिलता और दूसरा इसकी फसल को लेकर मप्र में अभी तक कोई काम नहीं हुआ है, जबकि ड्रैगन फ्रूट और अवोकेडो पर तो बहुत काम हुआ है। पैशन फ्रूट का जूस , स्क्वैश और जैम भी बनता है , जो औषधीय गुणों से भरपूर रहता है। इसमें विटामिन ए बी सी के अलावा अन्य तत्व भी होते हैं। वस्तुतः यह ब्राज़ील का फल है। जो पीला और पर्पल दो रंग का होता है। पीले का स्वाद खट्टा- मीठा और पर्पल में मिठास के साथ औषधीय गुण होते हैं। इससे संबंधित जानकारी जुटाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र , उद्यानिकी विभाग , आत्मा परियोजना , इंदौर से सम्पर्क किया। उद्यानिकी विभाग के सहयोग से सांवेर रोड़ से कुछ पौधे मिले। फिर पता चला कि भारत में कावेरी पैशन फ्रूट के नाम से बेंगलुरु में अधिक मिलता है। इस फसल को लेकर गूगल से जानकारी हासिल की और तैयारी शुरू की। इस कार्य में उद्यानिकी विभाग के प्रभारी उप संचालक श्री डीएस चौहान, श्री मनोज यादव , श्रीमती मनमीत कौर , वैज्ञानिक डॉ डीके वर्मा और श्रीमती शर्ली थॉमस आदि का बहुत योगदान रहा।
खेत की तैयारी – श्रीमती नामदेव ने बताया कि खेत में 20 हज़ार वर्ग फीट में फरवरी 2023 में 9 फीट वाले 165 सीमेंट के पोल और बांस लगाए , जिन्हें ढाई फीट नीचे गहरा गाड़ा गया , क्योंकि पैशन फ्रूट बेल पर लगता है। फिर 2×2 फीट के हिप बनाए। मिट्टी का पी एच मान 6.5 चाहिए था, इसलिए उसे लाल मिट्टी मिलाकर संतुलित किया। चूँकि पैशन फ्रूट को कम पानी लगता है , इसलिए ड्रिप भी लगाई और इन सभी हिप में वर्मी कम्पोस्ट मिलाया। फिर फरवरी 2024 में बेंगलुरु और आम बाग से भी पौधे खरीदे और 40 पोल पर पीले और 125 पोल पर पर्पल वाले पौधे लगाए। पीले का पल्प बहुत अच्छा निकलता है , जबकि पर्पल की खुशबू अच्छी आती है। समय से अंकुरण भी अच्छा हुआ। इनका 7 माह का चक्र होता है। इसलिए नीचे की खाली ज़मीन पर गेंदे की फसल ले ली , जिससे हर 10 दिन में 80 किलो फूल निकले, जो 100 रु किलो तक बिके। पैशन फ्रूट के लिए 10 से 35 डिग्री तक का तापमान होना चाहिए । मालवा का क्षेत्र इसके अनुकूल है ,इसलिए फ्लावरिंग और फ्रूटिंग भी अच्छी हुई। उन्होंने कहा कि पैशन फ्रूट को एक बार लगाते हैं, तो इसकी बेल 7 साल तक चलती है। दूसरे साल से अच्छी फ्रूटिंग होती है। यह पहला साल है। इस साल पहली फ्रूटिंग अक्टूबर में शुरू हुई। फ्रूट को पकने में 60 दिन लगते हैं। एक बेल से औसतन 25 से 30 किलो फल निकलता है। इस हिसाब से अगले साल 4 हज़ार किलो उत्पादन होने का अनुमान है। गेंदे निकालने के बाद अभी बीटरूट लगा रखी है। फरवरी 2025 में हार्वेस्टिंग करेंगे।
प्रसंस्करण की प्रक्रिया जारी – श्रीमती स्वाति नामदेव सिर्फ पैशन फ्रूट ही नहीं बेचना चाहती है, बल्कि इसके प्रसंस्करण की भी तैयारी कर रही हैं। इसके लिए पहले घर पर ही इसका स्क्वैश / जैम बनाया और परिचितों को भेंट किया। सभी को स्वाद अच्छा लगा तो, घर पर ही आर्डर आने लगे। इससे उत्साहित होकर आपने आम बाग में उत्पाद के प्रिजर्वेटिव और सेल्फ लाइफ बढ़ाने को लेकर प्रशिक्षण भी लिया। इसके अलावा फर्म के पंजीयन हेतु डीपीआर ,एफएसएसएआई में पंजीयन , गुमाश्ता लाइसेंस के साथ अन्य प्रमाण पत्र एवं लेबल की प्रक्रिया भी चल रही है। जल्द ही निर्माता मदर्स नेस्ट इंटर प्राइजेस के बैनर तले फ्रुज़ेस्टा के ब्रांड नेम से स्क्वाश की 300 मिली लीटर की बॉटल को 300 रु में बेचा जाएगा। 200 ग्राम की जैम भी बेचेंगे। फ्रूट पैशन पर्पल के 350 रु और पीले फ्रूट के 300 रु / किलो के दाम तय किए गए हैं, जबकि बड़े आउटलेट पर यह 800 – 900 रु किलो बिकता है। आगामी 18 से 20 जनवरी तक कृषि महाविद्यालय, इंदौर में आयोजित कृषि मेले में इनके उत्पाद पहली बार प्रदर्शित किए जाएंगे। यही नहीं उद्यानिकी विभाग इनकी पहल को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पेश करने की भी तैयारी कर रहा है। अब देखना यह है कि श्रीमती स्वाति नामदेव द्वारा आसमां में फेंका गया यह पत्थर कितना बड़ा सुराख करता है।
पैशन फ्रूट के बारे में – उल्लेखनीय है कि पैशन फ्रूट को हिंदी में कृष्णकमल फल या कृष्णा फल कहते हैं। यह एक उष्णकटिबंधीय फल है। यह एक प्रकार का बेर है, जो खाने में खट्टा – मीठा होता है । पैशन फ्रूट दिखने में पीले या बैंगनी रंग का होता है। इसे आधा काटने पर रसदार पीले गूदे में कुरकुरे बीज निकलते हैं। पैशन फ्रूट के बीज और गूदा खाने में अच्छे लगते हैं। विटामिनों से भरपूर इस फल को खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं।
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