जल से ही सुरक्षित होगा कल: डॉ. यादव
30 मार्च से 30 जून तक चलेगा जल गंगा जल संवर्धन अभियान
21 मार्च 2025, भोपाल: जल से ही सुरक्षित होगा कल : डॉ. यादव – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पानी से ही जिंदगानी है। हम सभी को जल की बूंद-बूंद बचाने की जरूरत है। जल से ही हम सबका आने वाला कल सुरक्षित है। जल गंगा जल संवर्धन अभियान में जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक गतिविधियां चलाई जाएं। जन सामान्य में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार विभिन्न विभागों, सामाजिक संगठनों और आम जनता की भागीदारी से जल संरक्षण गतिविधियों को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएगी। अभियान में वर्षा जल संचयन, जल स्रोतों का पुनर्जीवन और जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर विशेष जोर दिया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समत्व भवन में हुई ‘जल गंगा जल संवर्धन अभियानÓ की बैठक ये निर्देश दिए। जल गंगा संवर्धन अभियान गुड़ी पड़वा 30 मार्च से प्रारंभ होकर 30 जून 2025 तक तीन माह लगातार चलेगा।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक बर्णवाल, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी श्री अनुपम राजन, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रीमती दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनीष रस्तोगी, अभियान से जुड़े अन्य विभागों के प्रमुख सचिव सहित सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि जल गंगा जल संवर्धन अभियान में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व वाले तालाबों, जल स्त्रोतों एवं देवालयों में कार्य किए जाएंगे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अमृत सरोवर अभियान में 1000 नए तालाबों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। तालाब निर्माण के लिए अब तक 300 स्थानों का चयन किया जा चुका है, साथ ही 100 करोड़ रूपए की लागत से 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे, ताकि लघु एवं सीमांत किसानों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई के लिए पानी मिले। विभाग द्वारा वर्ष-2025 में एक लाख नए खेत-तालाब बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। अभियान के तहत हर ग्राम से 2 से 3 महिला-पुरुष का चयन कर प्रदेशभर में 1 लाख जलदूत तैयार किए जाएंगे।
जल गंगा संवर्धन अभियान की प्रमुख गतिविधियां
- सभी नहरों को विलेज मेप पर राजस्व विभाग की सहायता से मार्क किया जाएगा।
- बांध तथा नहरें अतिक्रमण मुक्त होंगी।
- नहर के अंतिम छोर पर जहां नहर समाप्त होकर किसी नाले में मिलती है, उस स्थान पर किलो मीटर स्टोन लगाया जाएगा।
- 40 हजार किलोमीटर की नहर प्रणाली में मनरेगा की सहायता से सफाई होगी।
- तालाब के पाल (बंड) की मिट्टी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पुन: निर्मित किया जाएगा।
- जल संरचनाओं के किनारों पर यथा संभव बफर – जोन तैयार कर जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेंसिंग के रूप में वृक्षारोपण का कार्य किया जाएगा।
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