लाचार किसान ने लहसुन को नाले में बहाया
09 सितम्बर 2022, इंदौर: लाचार किसान ने लहसुन को नाले में बहाया – इन दिनों लहसुन का वाज़िब दाम नहीं मिलने का मुद्दा गरमाया हुआ है। किसान संगठन सरकार से लहसुन का उचित मूल्य दिलाने की मांग लगातार कर रहे हैं। लहसुन का लागत मूल्य नहीं निकलने से आक्रोशित किसान अपनी लहसुन फसल को सड़कों पर फेंक रहे हैं या प्रदर्शन कर जला रहे हैं। ताज़ा मामला इंदौर जिले की सांवेर तहसील के ग्राम माताबरोड़ी का सामने आया है। यहाँ के किसान श्री विकास पिता प्रकाश सिसोदिया ने अपनी लहसुन फसल के 70 कट्टे कल नाले में बहा दिए।
इस संबंध में श्री विकास सिसोदिया ने कृषक जगत को बताया कि इस साल 6 बीघा में लहसुन लगाई थी। दो बीघा में फसल ठीक न होने से बखर दिया था। शेष 4 बीघा के उत्पादन में भी कमी आई। महंगा बीज,खाद, दवाई , लगाने और उखाड़ने की मजदूरी, बिजली बिल, भाड़ा आदि ज़्यादा लगने से लागत भी नहीं निकल पा रही है।10 हज़ार रुपए बीघा तो उखाड़ने की मजदूरी दी गई। कुछ दिनों पूर्व इंदौर मंडी में 4 हज़ार में 40 कट्टे लहसुन के बेचकर आया था, जिसका भाड़ा ही 1500 रु लग गया ,मंडी कर, हम्माली आदि अन्य खर्च जोड़ने के बाद बची राशि बहुत कम रही । अभी मंडी में लहसुन 200 से लेकर 600 रुपए क्विंटल तक बिक रही है। कुछ किसानों ने लहसुन अभी भी स्टॉक कर रखी है ,लेकिन अभी के दामों को देखकर लहसुन का स्टॉक करना फायदे का सौदा नहीं रहेगा ,क्योंकि लहसुन में बीच में सड़न लगना शुरू हो जाती है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए कल 70 कट्टे लहसुन को गांव के नाले में बहा दिया।
दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चा के श्री रामस्वरूप मंत्री और श्री बबलू जाधव का कहना है कि कई बार मांग करने और ज्ञापन देने के बाद भी सरकार ध्यान नहीं दे रही है। सरकार और उसके मंत्री किसानों को भ्रम में रखने की कोशिश कर रहे हैं। सांसद का निर्यात खोलने का वादा भी झूठा निकला। मालवा-निमाड़ के लहसुन उत्पादक किसान अपनी किस्मत को रो रहे हैं। सरकार को लहसुन के न्यूनतम भाव तय करने चाहिए ,ताकि किसानों को लाभ न सही परन्तु उनकी लागत तो निकले।
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