दस माह, खली निर्यात आखिर क्यों हुई गिरावट! क्या कहते है आंकड़े
25 फ़रवरी 2025, भोपाल: दस माह, खली निर्यात आखिर क्यों हुई गिरावट! क्या कहते है आंकड़े – बीते दस माह के दौरान खली निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। जो आंकड़े सामने आये है वह नौ प्रतिशत से अधिक की है।
रेपसीड मील और अरंडी की खली के निर्यात में कमी के कारण वर्तमान वित्तीय वर्ष के अप्रैल-जनवरी के दौरान खली के कुल निर्यात में 9.34 प्रतिशत की गिरावट आई है। भारत ने 2024-25 के पहले 10 महीनों में 36.03 लाख टन (एलटी) खली का निर्यात किया, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष के समान अवधि में यह आंकड़ा 39.74 लाख टन था।
अप्रैल-जनवरी 2024-25 के दौरान रेपसीड मील का निर्यात घटकर 15.42 लाख टन (अप्रैल-जनवरी 2023-24 में 18.95 लाख टन) हो गया, वहीं केस्टरसीड मील का निर्यात भी घटकर 2.58 लाख टन (3.27 लाख टन) रह गया। भारत के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने बताया कि बांग्लादेश रैपसीड मील का प्रमुख बाजार है, लेकिन पड़ोसी देश में अनिश्चितता के कारण हाल के महीनों में निर्यात में कमी आई है। इसका असर रैपसीड मील के निर्यात में कमी के रूप में देखा गया।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन मील का निर्यात फिर से बढ़कर 17.71 लाख टन हो गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के पहले 10 महीनों में 15.86 लाख टन था, यह यूरोपीय देशों जैसे जर्मनी और फ्रांस द्वारा उच्च आयात के कारण संभव हुआ। वर्तमान सत्र के दौरान सरकार ने 11 फरवरी तक 4,892 रुपये प्रति क्विंटल की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 14.73 लाख टन सोयाबीन की खरीद की है। इसमें से 8.36 लाख टन महाराष्ट्र, 3.88 लाख टन मध्य प्रदेश और 0.99 लाख टन राजस्थान से खरीदी गई है। नवंबर में जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, सरकार 2024-25 के लिए सोयाबीन की फसल 133.60 लाख टन होने का अनुमान लगा रही है, जो पिछले वर्ष के 130.62 लाख टन से अधिक है। वहीं, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने 2024-25 के लिए 125.82 लाख टन फसल का अनुमान लगाया है।
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