छिंदवाड़ा में तकनीक से बदली खेती की तस्वीर
01 नवंबर 2025, छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा में तकनीक से बदली खेती की तस्वीर – छिंदवाड़ा की तहसील मोहखेड़ के ग्राम केकड़ा के निवासी श्री प्रवेश कुमार रघुवंशी, पिता श्री मेरसिंह रघुवंशी, एक ऐसे युवा किसान हैं, जिन्होंने आधुनिक तकनीक अपनाकर खेती के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने के बाद प्रवेश ने तीन वर्ष तक एक निजी कंपनी में नौकरी की, लेकिन काम में रुचि न होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने पैतृक कार्य यानी खेती को अपनाने का निर्णय लिया। खेती शुरू करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ समय, श्रम और लागत तीनों ही दृष्टियों से अप्रभावी हैं लेबर खर्च अधिक, समय ज़्यादा और मुनाफा बहुत कम। इसी अनुभव से प्रेरित होकर उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने का निश्चय किया। इस दिशा में मध्यप्रदेश शासन और कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने उनका विशेष सहयोग किया। शासन की सहायता से उन्होंने सुपर सीडर मशीन खरीदी, जिस पर उन्हें ₹1,05,000 की सब्सिडी प्राप्त हुई। यह जिला छिंदवाड़ा में खरीदा गया पहला सुपर सीडर था, जिसे वे अपने 75 एच.पी. ट्रैक्टर से चलाते हैं।
सुपर सीडर एक ऐसी मशीन है जो एक साथ चार कार्य करती है। रोटावेटर मिट्टी में नरवाई को मिलाता है, लेवलर भूमि को समतल करता है, सीड ड्रिल बीज और खाद की बुवाई करता है, तथा पटा बीज एवं खाद को मिट्टी से हल्का ढक देता है। एक ही बार में चारों कार्य होने से समय और श्रम दोनों की बचत होती है। इसके अनेक लाभ हैं ,समय की बचत, लेबर खर्च में कमी, पानी की बचत और बीजों का बेहतर अंकुरण।
यदि पारंपरिक पद्धति से खेती की जाए तो मक्के की नरवाई कटाई पर ₹1500–2000, दो बार कल्टीवेटर चलाने पर ₹3000, रोटावेटर पर ₹1200 और सीड ड्रिल से बुवाई पर ₹1000 खर्च आता है। इस प्रकार कुल ₹5700 प्रति एकड़ खर्च होता है। जबकि सुपर सीडर से मात्र ₹1600 प्रति एकड़ खर्च में सभी कार्य एक साथ हो जाते हैं, जिससे लगभग ₹4000 प्रति एकड़ की बचत होती है और साथ ही 10 से 15 दिन का समय भी बचता है। सुपर सीडर से फसल का अंकुरण बेहतर हुआ और उपज में लगभग 20% की वृद्धि हुई। पहले जहाँ गेहूं की उपज 15–17 क्विंटल प्रति एकड़ थी, वहीं अब 21–24 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुँच गई। इस प्रकार लगभग ₹8,000 से ₹10,000 प्रति एकड़ की अतिरिक्त उपज और ₹4,000 प्रति एकड़ कम खर्च मिलाकर कुल ₹14,000 प्रति एकड़ का शुद्ध मुनाफा हुआ। अपने 55 एकड़ खेतों में प्रवेश को लगभग ₹7,70,000 का अतिरिक्त लाभ प्राप्त हुआ। उनकी सफलता देखकर आसपास के किसानों ने भी सुपर सीडर से बुवाई शुरू की।
प्रवेश ने न केवल इसे अपनी खेती में अपनाया, बल्कि इसे एक सफल व्यवसाय में भी बदल दिया। पहले वर्ष उन्होंने लगभग 1400 एकड़ भूमि में नरवाई प्रबंधन और बुवाई का कार्य किया, जिससे लगभग ₹11 लाख की बचत हुई। दूसरे वर्ष उन्होंने गेहूं और मूंग की बुवाई सहित कुल 2200 एकड़ भूमि में कार्य किया, जिससे लगभग ₹18 से ₹20 लाख का लाभ हुआ। इस प्रकार सुपर सीडर न केवल वैज्ञानिक खेती का प्रतीक बना, बल्कि एक लाभदायक व्यवसायिक साधन भी सिद्ध हुआ। प्रवेश कुमार रघुवंशी का यह प्रयास आज अनेक किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे कहते हैं “यदि किसान नई तकनीक अपनाने का साहस करें , तो खेती केवल पेशा नहीं, बल्कि एक सफल व्यवसाय बन सकती है।”
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