एमपीयूएटी में किसान-वैज्ञानिक संवाद: 27 वर्षों के उर्वरक परीक्षणों ने बदली खेती की तस्वीर
22 अगस्त 2024, भोपाल: एमपीयूएटी में किसान-वैज्ञानिक संवाद: 27 वर्षों के उर्वरक परीक्षणों ने बदली खेती की तस्वीर – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के राजस्थान कृषि महाविद्यालय में चल रहे दीर्घावधि उर्वरक परीक्षण के तहत पिछले 27 वर्षों से मक्का और गेहूं की फसल चक्र में पोषक तत्वों के प्रयोग पर परीक्षण जारी है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) की वित्तीय सहायता से संचालित इस परियोजना के तहत उदयपुर जिले के जनजातीय क्षेत्रों के किसान इन परीक्षणों से अपनी कृषि उपज में वृद्धि कर लाभान्वित हो रहे हैं।
हाल ही में, इस परियोजना की पश्चिमी क्षेत्र की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के दौरान वैज्ञानिकों के दल ने जनजातीय किसानों से सीधा संवाद किया। पूर्व कुलपति डॉ. पी. के. शर्मा (शेरे-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू) ने इस संवाद के दौरान किसानों से मृदा के नमूने लेने की विधि और पोषक तत्वों के बारे में चर्चा की, जिसका किसानों ने सरल भाषा में उत्तर दिया।
जनजातीय योजना के तहत प्रथम पंक्ति प्रदर्शन की प्रगति और उसके लाभों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। किसानों ने मक्का और गेहूं की फसलों में लगने वाली बीमारियों और कीट प्रबंधन पर कई सवाल पूछे, जिनका समाधान समीक्षा दल के वैज्ञानिकों—डॉ. आर. सांथी, डॉ. वी. खर्चे, डॉ. आर. पड़ारिया, और डॉ. आर. एलान्चेजीयन—द्वारा किया गया।
बैठक के दौरान वैज्ञानिकों ने तरल जैव उर्वरक प्रयोगशाला का भी भ्रमण किया और इस अवसर पर किसानों को प्रयोगशाला में उत्पादित तरल जैव उर्वरक वितरित किए गए। वैज्ञानिकों ने इन उर्वरकों के फसलों में उपयोग और उनके महत्व को विस्तार से समझाया।
यह संवाद कार्यक्रम मक्का की फसल के प्रक्षेत्र पर आयोजित किया गया, जिसे देखकर किसानों और वैज्ञानिकों दोनों ने खुशी जाहिर की। परियोजना अधिकारी डॉ. सुभाष मीणा ने इस कार्यक्रम का संचालन किया और किसानों एवं वैज्ञानिकों के बीच संवाद के सूत्रधार बने।
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