ओंकारेश्वर नहर ने बदली खेती की तस्वीर और तकदीर
(विशेष प्रतिनिधि)
28 जून 2021, इंदौर । ओंकारेश्वर नहर ने बदली खेती की तस्वीर और तकदीर – खेती में मशक्कत के बाद भी यदि सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाए, तो किसान अच्छी पैदावार ले सकता है। निम्बोल जिला धार के किसान श्री देवराम मुकाती (पाटीदार) ने ओंकारेश्वर नहर परियोजना के तीसरे चरण में तीन हजार फीट दूर से पाईप के ज़रिए नहर का पानी खेत में लाकर खेती की तस्वीर और अपनी तक़दीर बदल ली है।
श्री मुकाती ने कृषक जगत को बताया कि पहले खरीफ और रबी में परम्परागत खेती करते थे, जिसमें खेत में स्थित कुँए से 10-12 साल पहले लगाए गए जैन पाइप (75 मिमी) और जैन ड्रिप (63 मिमी) से सिंचाई करते थे, जो अभी भी उपयोगी है, परन्तु पानी कम पड़ता था। लेकिन जब से क्षेत्र में ओंकारेश्वर नहर परियोजना के तीसरे चरण का पानी गाँव में आया है, तब से खेती का स्वरूप बदल गया है। अब कपास के अलावा मिर्च की भी खेती करने लगे हैं। चौथे चरण की नहर शुरू होते ही खेत तक पानी पहुँच जाएगा। नहर का पानी साल में दो बार मई और अक्टूबर में छोड़ते हैं, लेकिन गांव में दो तालाब बन जाने से भू जल स्तर ज्यादा नहीं गिरता है।
श्री देवराम ने कहा कि इस वर्ष खरीफ में 5 एकड़ में रासि 659 किस्म का कपास और शेष 5 एकड़ में मिर्च की सानिया और 720 किस्म लगाएंगे, जिसके तैयार 28 हज़ार पौधे अंजड़ की एक निजी नर्सरी से खरीदकर रोप दिए हैं। उन्होंने कहा कि पहले इस क्षेत्र में मिर्च बहुतायत से होती थी, जिसे मनावर मिर्च मंडी में बेचा जाता था। हालाँकि समीपी गांव धुलसर और लोणी के बड़े काश्तकार अब भी बड़े पैमाने पर मिर्च उत्पादित करते हैं। किसान अब हरी मिर्च बेचने में ही रूचि रखते हैं, ताकि दिसंबर तक खेत खाली होने पर डॉलर चना बोया जा सके। श्री मुकाती की गत वर्ष कपास की फसल सितंबर में वर्षा होने से प्रभावित हुई थी। घेंटे काले पडऩे से 20 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ था। चौथे चरण की नहर का पानी खेत तक आने के बाद खेती में और बदलाव करेंगे।