बदलते मौसम में रबी फसलों का रखें ध्यान
22 फरवरी, 2021, रायपुर । बदलते मौसम में रबी फसलों का रखें ध्यान – मौसम में हो रहे बदलाव को देखते हुए कृषि मौसम विज्ञान विभाग ने छत्तीसगढ़ के मैदानी भागों के लिए मौसम संबंधित पूर्वानुमान जारी की है। इसके अनुसार बालौद, रायपुर, दुर्ग, धमतरी एवं गरियाबंद जिलों में वायु की गति सामान्य से अधिक होगी। वायु की रफ्तार 5 से 6 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है। इसके साथ ही इन मैदानी भाग में आने वाले 3 से 4 दिनों में हल्की वर्षा का भी पूर्वानुमान है। परिस्थिति को देखते हुए रबी फसल के लिए किसानों को जरूरी सलाह दी गई है।
सलाह के अनुसार वर्तमान में होने वाली हल्की वर्षा गेहूं फसल के लिए लाभदायक है, अत: पानी गिरने पर सिंचाई न करें। रबी फसल के तहत आने वाले चना एवं अन्य दलहन फसलों में कीड़े मकोड़े इत्यादि लगने की संभावना है। इसको देखेते हुए मौसम साफ होते ही अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें। चने में इल्लियों के नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास एवं साइपरमेथ्रिन मिश्रित कीटनाशक 400 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। बादल छाए रहने के कारण धान की फसल में इल्लीयों का प्रकोप बढ़ सकता है इसलिए इसकी सतत् निगरानी करते रहे। इल्ली के प्रारम्भिक नियंत्रण हेतु एकीकृत कीट प्रबंधन जैसे फीरोमोन प्रपंच, प्रकाश प्रपंच या खेतों में किटहारी पक्षियों की खेती में सक्रियता बढ़ाने हेतु टी या वाय आकार की लकडिय़ां 20-25 नग प्रति हेक्टर की दर से अलग-अलग स्थानों में लगाएं। सरसों फसल में माहू (एफिड) कीट की शिशु और वयस्क दोनों ही हानिकारक अवस्थाएं है।
इस कीट की अधिक प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बनाकर 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिड़काव करें। सरसों फसल में निचली पत्तियों पर रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेटालेकिसल एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। रोग की तीव्रता के अनुसार 10-12 दिन बाद एक छिड़काव और किया जा सकता है।
सूरजमुखी फसल में पहली सिंचाई फसल बोने के 35-40 दिन बाद देना चाहिए एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन की शेष मात्रा डालनी चाहिए।