आयातित प्याज खरीदने से राज्यों की आनाकानी
केन्द्र नो प्राफिट – नो लॉस पर बेचने को तैयार
एक लाख टन प्याज का बनेगा बफर स्टॉक केंद्र सरकार ने अगले साल प्याज का एक लाख टन का बफर स्टॉक बनाने का निर्णय किया है। सरकार ने चालू वर्ष में प्याज का 56,000 टन का बफर स्टॉक तैयार किया था। प्याज के दाम अभी भी ज्यादातर शहरों में 70 से 80 रुपये किलो से ऊपर चल रहे हैं। परिणामस्वरूप, सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की एमएमटीसी के जरिये प्याज आयात करना पड़ा है। गृह मंत्री की अध्यक्षता में हाल में मंत्री समूह की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। यह निर्णय किया गया है कि अगले साल के लिए करीब एक लाख टन का बफर स्टॉक बनाया जाएगा। |
नई दिल्ली। कमी के कारण बढ़ी प्याज की कीमतों को थामने के प्रयासों को राज्यों ने अब नकारना शुरू कर दिया है। केंद्र ने राज्यों के समक्ष 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से आयातित प्याज बेचने की पेशकश की है। लेकिन कई राज्यों ने प्याज की अपनी पुरानी मांग को वापस ले लिया है। इससे आयातित प्याज अब केंद्रीय एजेंसियों के लिए मुश्किलों का सबब बन सकती है। दरअसल, घरेलू आपूर्ति बढऩे से प्याज की महंगाई थमने लगी है, जिससे संबंधित राज्यों ने महंगा आयातित प्याज लेने से इन्कार करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ सरकार ने कीमतों को थामने के लिए अगले वर्ष एक लाख टन प्याज का बफर स्टॉक बनाने का निर्णय लिया है।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की उच्च स्तरीय समिति की बैठक में इस मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। विदेश से आया महंगा प्याज लेने से मना करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, कर्नाटक और ओडिशा हैं। इनमें सबसे ज्यादा 10 हजार टन प्याज असम ने मांगी थी, जबकि 3480 टन प्याज की मांग महाराष्ट्र, 2500 टन हरियाणा और 100 टन की मांग ओडिशा से थी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक मुंबई बंदरगाह पर 12000 टन प्याज पहुंच चुका है। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि मुंबई बंदरगाह पर पहुंचा प्याज 49 से 58 रुपये प्रति किलो की दर से राज्यों को बेचा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जिन राज्यों में घरेलू प्याज की आमद होने लगी है, वहां कीमतें घटने लगी हैं। इसके मद्देनजर उन राज्यों को आयातित प्याज महंगा लगने लगा है।
फरवरी बाद ही आपूर्ति में पर्याप्त सुधार सचिव श्री श्रीवास्तव ने बताया कि घरेलू प्याज की आपूर्ति में फरवरी के बाद ही पर्याप्त सुधार की संभावना है। मासिक अनुमानित उत्पादन का आंकड़ा देते हुए उन्होंने बताया कि जनवरी में पिछले साल के 13.80 लाख टन के मुकाबले 9.25 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। फरवरी में उत्पादन 16.76 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल फरवरी में 25.62 लाख टन रहा था। मार्च में प्याज का उत्पादन 29.26 लाख टन पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले साल इसी महीने में 25.8 लाख टन था। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में प्याज की दैनिक खपत करीब 67 हजार टन है। |
केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री श्री रामविलास पासवान ने बताया, ‘जब नवंबर में प्याज के मूल्य 120 से 150 रुपये प्रति किलो हो गए थे, उस समय राज्यों की ओर से 33,139 टन प्याज की मांग आई थी। अब आयातित प्याज बंदरगाहों तक पहुंचने लगा है और संबंधित राज्यों में कीमतों का बढऩा रुका अथवा कीमतें काबू में आईं तो राज्य पीछे हटने लगे हैं।
केंद्र सरकार ने ‘नो प्रॉफिट, नो लॉस के आधार पर प्याज बेचने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि बंदरगाह से प्याज को उपभोक्ता मंडी तक लाने का खर्च केंद्र सरकार वहन करने को तैयार है। एक अन्य सवाल पर श्री पासवान ने कहा कि आयातित प्याज के स्वाद को लेकर सरकार कुछ नहीं कर सकती। जहां जैसा प्याज मिला, वहां से लाने की कोशिश की गई है। सरकारी एजेंसी एमएमटीसी ने अब तक 41 हजार टन से अधिक का आयात अनुबंध कर लिया है।