बीजोपचार से बढ़ेगा बाजरा का उत्पादन: किसान अपनाएं ये सिफारिशें
11 जुलाई 2024, श्रीगंगानगर: बीजोपचार से बढ़ेगा बाजरा का उत्पादन: किसान अपनाएं ये सिफारिशें – खरीफ के मौसम में राजस्थान की प्रमुख फसल बाजरा की बुवाई के लिए किसानों को उन्नत शस्य क्रियाएं अपनाने और फसल को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए बीजोपचार की सिफारिश की गई है। ग्राह्य परीक्षण केन्द्र, तबीजी फार्म के उप निदेशक कृषि (शस्य) श्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि बाजरा की बुवाई का उपयुक्त समय मध्य जून से जुलाई के तृतीय सप्ताह तक है।
बीजोपचार की प्रक्रिया
कृषि अनुसंधान अधिकारी (पौध व्याधि) डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने बीजोपचार की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बाजरा की फसल में तुलासिता, हरितबाली रोग, अरगट रोग और दीमक व सफेद लट जैसे कीटों का प्रकोप होता है। इन रोगों से बचाव के लिए निम्नलिखित सिफारिशें दी गई हैं:
- तुलासिता रोग: इस रोग से बचाव के लिए एप्रोन एसडी 35 का उपयोग करें। बीजों को 6 ग्राम एप्रोन एसडी 35 प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बुवाई करें।
- अरगट रोग: बीजों को नमक के 20 प्रतिशत घोल (एक किलो नमक 5 लीटर पानी) में लगभग 5 मिनट तक डुबो कर हिलाएं। तैरते हुए हल्के बीजों को निकालकर जला दें और शेष बचे हुए बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाएं। इसके बाद 3 ग्राम थाइरम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
- कीटों से बचाव: दीमक, सफेद लट, तना मक्खी और तना छेदक से बचाव के लिए बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ एस की 8.75 मि.ली. या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यू.डी.जी. 7.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बीजों को छाया में सुखाकर 2 घंटे के भीतर बुवाई करें।
एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचार
कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) डॉ. कमलेश चौधरी ने बताया कि बीजों को एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। इसके लिए 500 मिलीलीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाएं और ठंडा होने पर इसमें 600 ग्राम जीवाणु कल्चर मिलाएं। इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीजों को मिलाएं ताकि सभी बीजों पर एक समान परत चढ़ जाए। इसके बाद बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लें।
किसानों को सलाह दी गई है कि बीजोपचार करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क और पूरे वस्त्र पहनें। बीजोपचार की प्रक्रिया के बाद बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बुवाई करें।
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