राज्य कृषि समाचार (State News)

कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी लागू करने की सिफारिश

20 दिसंबर 2024, भोपाल: कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी लागू करने की सिफारिश – देश में भले ही अलग-अलग राज्यों में समर्थन मूल्य पर किसानों से उपज की खरीदी की जाती हो लेकिन दूसरी ओर कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने भारत में कानूनी रूप से बाध्यकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने की सिफारिश की है।

समिति ने कृषि विभाग से जल्द से जल्द इसके क्रियान्वयन के लिए रोडमैप घोषित करने का भी आग्रह किया। कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा कि किसानों को कानूनी गारंटी के रूप में एमएसपी लागू करना न केवल किसानों की आजीविका की सुरक्षा के लिए बल्कि ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भी आवश्यक है। इसमें कहा गया है कि एमएसपी के माध्यम से सुनिश्चित आय के साथ किसान अपनी कृषि पद्धतियों में निवेश करने की अधिक संभावना रखते हैं, जिससे खेती में उत्पादकता और स्थिरता बढ़ती है। यह निवेश राष्ट्र के लिए दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा में भी योगदान दे सकता है। स्थायी समिति में 30 संसद सदस्य शामिल थे। इनमें भारतीय जनता पार्टी से 13, कांग्रेस से पांच (अध्यक्ष चन्नी सहित), समाजवादी पार्टी से तीन, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम से दो तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एक-एक निर्दलीय शामिल थे।

ये सिफारिशें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऐसे समय में आई हैं जब किसान यूनियनें कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी चौकियों पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। एमएसपी एक गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी उपज खरीदती है। इसका उद्देश्य सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से नीचे बाजार मूल्य गिरने पर सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करना है। एमएसपी सरकार द्वारा प्रत्येक फसल सीजन की शुरुआत से पहले घोषित किया जाता है। आमतौर पर केंद्र 22 कृषि वस्तुओं के लिए एमएसपी तय करता है। लेकिन सुनिश्चित खरीद ज्यादातर चावल और गेहूं के लिए ही होती है। पैनल की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खरीद 100 प्रतिशत में से 0.5 प्रतिशत थी, उदाहरण के लिए 2022-24 में 23 प्रतिशत गेहूं खरीदा, लेकिन चने की खरीद के मामले में केवल 0.37 प्रतिशत की खरीद की, रेपसीड के मामले में 9.19 प्रतिशत की खरीद की, सूरजमुखी की खरीद नहीं की और मसूर दाल के लिए 14.08 प्रतिशत की खरीद की गई है।  

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