राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान में धान पराली जलाने पर सख्ती: कलेक्टर ने रोकथाम और नियंत्रण की प्रभावी मोनिटरिंग के दिए निर्देश

24 अक्टूबर 2025, जयपुर: राजस्थान में धान पराली जलाने पर सख्ती: कलेक्टर ने रोकथाम और नियंत्रण की प्रभावी मोनिटरिंग के दिए निर्देश – दिल्ली एनसीआर एवं समीपवर्ती क्षेत्र राजस्थान में वायु नियंत्रण प्रबंधन के तहत जिले में धान की पराली जलाने की रोकथाम और नियन्त्रण की प्रभावी मोनिटरिंग हेतु जिला कलक्टर डॉ. मंजू द्वारा संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है।

इसके अनुसार धान पराली प्रबंधन के प्रस्तावित तरीके के लिये समस्त गांवों में आने वाले प्रत्येक खेत की कृषि विभाग द्वारा मैपिंग की जाये। प्रभावी निगरानी के लिए जिले के सभी किसानों को सम्मिलित करते हुये अधिकाधिक किसानों के समूह को विशिष्ट नोडल अधिकारी से जोड़ा जाये। धान पराली प्रबंधन हेतु जिले में फसल अवशेष प्रबंधन से संबधित कृषि यंत्रों की संख्या का आंकलन कर (अनुपयोगी यंत्रों को कम करते हुये) स्थानीय परिस्थिति के आधार पर फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उपयोग मे आने वाली मशीनों को बढावा देने के लिये कृषकों को प्रोत्साहित किया जाये। साथ ही कृषि यंत्रों पर अनुदान हेतु ऐसे यंत्रों के अधिक से अधिक आवेदन प्राप्त किये जायें।

 इसके अलावा स्थापित होने वाले कस्टम हायरिंग केन्द्रो पर अधिक से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उपयोग में आने वाली मशीनों को समय पर क्रय कराया जाये। इन मशीनों का लघु/सीमान्त कृषकों को अधिक से अधिक लाभ दिया जाये। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु बेलर्स, रेकर्स एवं अन्य मशीनरी अनुपलब्धता की स्थिति में आसपास के जिलों से समन्वय कर फसल पेटर्न को ध्यान में रखते हुये जिले में उक्त की सुविधा उपलब्ध करावें। संयुक्त निदेशक, कृषि (विस्तार) जिला परिषद् जिला कलेक्टर से समन्वय कर जिला/ब्लॉक स्तर पर समर्पित ‘‘पराली सुरक्षा बल’’ का गठन किया जायेगा। इसमें पुलिस अधिकारी, कृषि विभाग के अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, नोडल, क्लस्टर अधिकारी शामिल होंगे।

 पूर्व गठित उक्त समितियों की बैठकें आयोजित कर फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति की रोकथाम एवं नियत्रंण हेतु स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर कार्ययोजना का निर्धारण कर सूचना आयुक्तालय को भिजवाये जाए। कृषि विभाग द्वारा पूर्व के अनुमानों के अनुरूप क्षेत्र में कुल धान की पराली की गाठों की मात्रा का आंकलन कर उनके भण्डारण के लिए सरकारी, पंचायत भूमि की पहचान कराई जाए। संयुक्त निदेशक, कृषि (विस्तार) जिला परिषद् उनके जिले को भिजवाई गई सैटेलाईट आधारित फसल अवशेषों को जलाने की घटनाओं का अक्षांश/देशान्तर के आधार पर भौतिक सत्यापन कर प्रतिवेदन प्रतिदिन निर्धारित प्रपत्र में आयुक्तालय एवं जिला कलक्टर को भिजवाया जाना सुनिश्चित करेंगे।

 जिला कलक्टर द्वारा राजस्व अधिकारीगण के माध्यम से नियमानुसार वसूली करवाई जायेगी। क्षेत्र में प्रभावी सूचना शिक्षा एवं सम्प्रेक्षण गतिविधियों का आयोजन कर फसल अवशेषों को जलाने के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए उनके वैकल्पिक उपयोग को बढावा देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। साथ ही वैकल्पिक फसल चक अपनाने के लिए भी प्रेरित करेंगे ताकि भविष्य में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। कृषकों को विभागीय सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर फसल अवशेष प्रबंधन के प्रभावी तरीकों एवं इस हेतु काम में आने वाले कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही पराली जलाने की घटनाओं के संबंध में शिकायत दर्ज करवाने के लिये प्रेरित किया जावे।

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