राजस्थान: पशुपालन विभाग की पहल पर एवियन बोटूलिज़्म व एवियन इन्फ्लुएंज़ा रोग प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
07 दिसंबर 2025, जयपुर: राजस्थान: पशुपालन विभाग की पहल पर एवियन बोटूलिज़्म व एवियन इन्फ्लुएंज़ा रोग प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित – एवियन बॉटूलिज्म तथा एवियन इन्फ्लूएंजा रोग प्रबंधन, बचाव और चिकित्सा पर पशुपालन विभाग, वन विभाग, सांभर लेक मैनेजमेंट एजेंसी और वर्ल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुक्रवार को समापन हुआ। पशुपालन विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा व सांभर लेक मैनेजमेंट एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिजु जॉय की पहल पर राज्य में पहली बार इस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जामडोली स्थित पशुधन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के रामसर वेटलैण्ड क्षेत्र के पशु चिकित्सकों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य एवियन बॉटूलिज्म तथा एवियन इन्फ्लूएंजा रोगों की पहचान, बचाव, समय पर किए जाने वाले उपचार तथा आपदा प्रबंधन के व्यावहारिक ज्ञान को मजबूत करना था।
पशुधन सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कहा कि पशुधन सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम फील्ड स्तर पर रोग नियंत्रण क्षमता को मजबूत करने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
पशुओं में संक्रामक रोगों का बढ़ रहा खतरा
डॉ. शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में तेजी से बदलते जैविक जोखिमों और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण पशुओं में संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक जानकारी, सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया ही समाधान का आधार है। उन्होंने कहा कि एवियन बोटूलिज़्म और एवियन इन्फ्लुएंज़ा जैसे रोग न केवल पशुधन के लिए खतरा हैं बल्कि इनके फैलने से व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी होते हैं। इसलिए हर स्तर पर समयबद्ध कार्रवाई, निगरानी और जागरूकता अत्यंत आवश्यक है।
किसानों व पशुपालकों को दे सटीक मार्गदर्शन
डॉ. शर्मा ने प्रतिभागी पशु चिकित्सकों और तकनीकी कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को प्रभावी रूप से लागू करें और किसानों व पशुपालकों को समय पर सटीक मार्गदर्शन प्रदान करें। विभाग आधुनिक तकनीक, डिजिटल रिपोर्टिंग, वैज्ञानिक अनुसंधान और फील्ड प्रबंधन को एकीकृत कर पशुधन सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। डॉ. शर्मा ने विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया टीमों, लैब नेटवर्क और फील्ड स्टाफ की भूमिका की विशेष रूप से सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान ने संक्रामक रोगों की रोकथाम के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है और इसी गति को आगे बढ़ाना होगा। शासन सचिव ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।
फील्ड प्रशिक्षण की पर जोर
प्रशिक्षण के दौरान व्यावहारिक सत्र भी आयोजित किए गए, जिसमें फील्ड परिस्थितियों में अपनाई जाने वाली तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। यह प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन सुरक्षा को मजबूत करेगा तथा भविष्य में बीमारी के प्रकोप को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
समापन अवसर पर निदेशक डॉ. सुरेशचंद मीना, अतिरिक्त निदेशक डॉ. हेमंत पंत, संयुक्त निदेशक डॉ. तपेश माथुर, डॉ. संगीता माथुर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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