खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) जलाने पर दण्ड का प्रावधान
09 मई 2025, झाबुआ: खेतों में फसल अवशेष (नरवाई) जलाने पर दण्ड का प्रावधान – कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशन में जिले के उप संचालक कृषि श्री नगीन रावत द्वारा जिले के किसानों को गेहूं फसल की कटाई के बाद शेष बचे फसल अवशेष (नरवाई) को ना जलाने की अपील की गई है। नरवाई जलाना पर्यावरण के लिए अत्यन्त हानिकारक है। अतः इसे कतई ना जलाएं। गेहूं की फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर आदि का बहुतायत में उपयोग किया जाने लगा है। फलस्वरूप कटाई के उपरान्त खेतों में नरवाई एवं भूसा शेष बचता है, जिन्हें किसान अनुपयोगी समझकर आग लगाकर नष्ट करते है, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है।
फसल अवशेष के उचित प्रबंधन – उप संचालक कृषि श्री नगीन सिंह रावत द्वारा समझाइश दी गई कि फसल कटाई उपरान्त खेत में बचे अवशेषों का उचित तरीके से प्रबंधन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। किसान, नरवाई नष्ट करने हेतु रोटावेटर चलाकर नरवाई को बारीक कर मिट्टी में मिलाएं, जिससे जैविक खाद तैयार होती है। नरवाई से भूसा तैयार कर पशु आहार के रूप में उपयोग करें। जिन क्षेत्रों में कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई की जाती है वहां हार्वेस्टर के साथ स्ट्रारीपर एवं रीपर-कम बाईन्डर के उपयोग करने की सलाह है, जिससे फसल को काफी नीचे से काटा जा सकता है एवं नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं होती है। खेतों की गहरी जुताई, हैप्पी सीडर तथा जीरोटिलेज सीडड्रिल से बुआई को प्रोत्साहित किया जा रहा है, इन यन्त्रों के उपयोग से फसल अवशेषों को भूमि में ही मिलाया जा सकेगा, जिससे भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ेगी तथा फसल उत्पादन भी बेहतर प्राप्त होगा।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल द्वारा धान- गेहूं फसल अवशेषों का यथा-स्थान विघटन हेतु एक्सेल डिकम्पोजर तकनीक (एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल) विकसित की है जो फसल अवशेषों को 25-30 दिनों के अन्दर ही सड़ाकर खाद बना देती है। एक्सेल डिकम्पोजर कैप्सूल की अधिक जानकारी के लिये भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल के दूरभाष नम्बर 0755-2730946 पर सम्पर्क कर सकते हैं । कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास तथा मध्यप्रदेश भोपाल से सेटेलाईट मॉनिटरिंग से प्राप्त जानकारी अनुसार जिले में कुल-08 नरवाई/फसल अवशेष जलाने की घटनाओं की सूचना है।
मध्यप्रदेश शासन किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल के माध्यम से जिले में फायर मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किये जाने हेतु राजस्व विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, गृह विभाग, पर्यावरण विभाग एवं किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अधिकारियों का संयुक्त दल गठित किया जाकर जिले का फायर मॉनिटरिंग सिस्टम को अधिक प्रभावी एवं व्यवहारिक बनाया गया है। जिससे खेतों में लग रही आग की जानकारी त्वरित जिला मुख्यालय पर प्राप्त हो सके। इसी अनुक्रम में तहसील पेटलावद के ग्राम करडावद भूमि स्वामी श्रीमती मीरा बाई पति श्री बाबरू चौधरी द्वारा खेत में नरवाई/पराली जलाने पर उक्त आशय का पंचनामा तैयार किया जा कर तहसीलदार, तहसील पेटलावद द्वारा संबंधित के विरूध्द दण्डात्मक कार्यवाही हेतु कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है। जवाब प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर आगामी कार्यवाही की जावेगी। साथ ही उक्त कृत्य की स्थिति में संबंधित के विरूध्द आर्थिक दण्ड अधिरोपित किये जाने का प्रावधान है, अतः जिले के अन्नदाताओं से अनुरोध है कि नरवाई/पराली न जलाई जाए तथा निस्तारण हेतु उक्तानुसार प्रबंधन करने की अपील की जाती है।
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