राज्य कृषि समाचार (State News)

इंदौर जिले में नरवाई जलाने के 77 प्रकरणों में बनाए पंचनामे

14 अप्रैल 2025, इंदौर: इंदौर जिले में नरवाई जलाने के 77 प्रकरणों में बनाए पंचनामे – इंदौर जिले में फसलों की कटाई के बाद खेतों में नरवाई (अवशेष) जलाने की घटनाओं पर प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। कलेक्टर श्री आशीष सिंह के निर्देशन में जिले भर में नरवाई जलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का सिलसिला प्रारंभ किया गया है।

प्रशासन द्वारा अब तक नरवाई जलाने के 77 मामलों में पंचनामे तैयार किए गए हैं। संबंधित कृषकों के विरुद्ध नियमानुसार अर्थदंड की कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर श्री सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि नरवाई जलाने की घटनाओं पर सतत निगरानी रखी जाए तथा दोषियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए।

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प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे नरवाई न जलाएं और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दें। नरवाई जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके वैकल्पिक उपयोग के लिए शासन द्वारा विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि किसानों के द्वारा फसल अवशेषों में आग लगाई जा रही है। इस संबंध में क्षेत्रीय अमला जिसमें कृषि, राजस्व एवं पंचायत विभाग शामिल है। पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना का उल्लंघन पाए जाने पर मौके पर जाकर पंचानामा बनाए जा रहे हैं। आज दिनांक तक जिले की समस्त तहसीलों में कुल 77 पंचनामे तैयार किए गए है। जिन पर आगामी दिनों में मध्यप्रदेश शासन के नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार पर्यावरण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना अनुसार कार्यवाही की जायेगी।

ऐसा कोई व्यक्ति / निकाय/ कृषक जिसके पास 2 एकड़ तक की भूमि है, तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 2 हजार 500 रुपये प्रति घटना के मान त‍था जिसके पास 2 से 5 एकड़ तक की भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में पाँच हजार रुपये प्रति घटना के मान से तथा जिसके पास 5 एकड़ से अधिक भूमि है तो उसको नरवाई जलाने पर पर्यावरण क्षति के रूप में 15 हजार रुपये प्रति घटना के मान से आर्थिक दण्ड भरना होगा।

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वर्तमान में जिले में गेहूं फसल की कटाई का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है, फसल की कटाई के पश्चात सामान्य तौर पर किसान भाई नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की संरचना भी प्रभावित होती है। जिले में गेहूं की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है। नरवाई प्रबंधन हेतु कृषि विभाग का संपूर्ण अमला माह फरवरी से निरंतर पंचायतवार कृषकों को प्रशिक्षण देकर नरवाई प्रबंधन हेतु जागरूक कर रहा है।इसी क्रम में दिनांक 05 अप्रैल 2025 से 16 अप्रैल 2025 तक फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन प्रचार रथ द्वारा जिले के समस्त विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में भम्रण कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

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प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर कृषि से संबंधित मैदानी अधिकारियों एवं राजस्व विभाग के पटवारी / पंचायत विभाग के पंचायत सचिव के साथ समन्वय कर कृषक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है तथा किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसानों तथा फसल अवशेष (नरवाई) प्रबंधन की तकनीकी जानकारी से अवगत किया जा रहा है।

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