छिंदवाड़ा बना जलवायु अनुकूल कृषि एवं नरवाई प्रबंधन का मॉडल
12 अप्रैल 2025, छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा बना जलवायु अनुकूल कृषि एवं नरवाई प्रबंधन का मॉडल – मध्यप्रदेश का छिंदवाड़ा जिला अब कृषि क्षेत्र में नवाचार और पर्यावरण-संरक्षण का आदर्श बनकर उभर रहा है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत जिले में किसानों को पराली जलाने के दुष्परिणामों से बचाने और उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए कृषि विभाग एवम बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया जबलपुर एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता अभियान व्यापक रूप से सफल हो रहा है। इस अभियान में बोरलॉग इंस्टीट्यूट जबलपुर की तकनीकी साझेदारी बेहद प्रभावशाली रही है।
हाल ही में विकासखंड छिंदवाड़ा के बोरिया गांव में किसान श्री सेवकराम यादव के खेत पर हैप्पी सीडर/सुपर सीडर तकनीक से ग्रीष्मकालीन मूंग की बोवनी का प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन न केवल जिले के लिए बल्कि पूरे राज्य के किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया है।कार्यक्रम का संचालन जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार उपसंचालक कृषि जितेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में हुआ। इस मौके पर BISA जबलपुर से जुड़े विशेषज्ञ डॉ. पंकज कुमार और दीपेन्द्र सिंह ने किसानों को तकनीकी जानकारी दी और हैप्पी सीडर से जुड़ी विशेषताओं को विस्तार से समझाया।
उपसंचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि हैप्पी सीडर तकनीक केवल एक मशीन नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण समाधान है। यह नरवाई प्रबंधन, मिट्टी की उर्वरता, जल संरक्षण और उत्पादन वृद्धि को एक साथ संचालित करती है। खेत की जुताई की आवश्यकता को खत्म कर, यह तकनीक सीधे कटाई के बाद बुवाई की सुविधा देती है, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है। नरवाई को जलाने की जगह खेत में छोड़ने से जैविक पदार्थों में वृद्धि, मिट्टी की नमी बरकरार रखने और सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ने जैसे कई लाभ मिलते हैं उन्होंने जानकारी दी कि जिले में 18,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की बोवनी होती है, जिनमें से लगभग 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सुपर सीडर/हैप्पी सीडर जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। यह एक बड़ा परिवर्तन है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ रही है। श्री समीर पटेल सहायक कृषि यंत्री ने कहा कि हैप्पी सीडर तकनीक न केवल श्रम और लागत को कम करती है, बल्कि समय की बचत भी करती है। यह तकनीक किसानों के लिए बेहद उपयोगी है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्रीमती श्रद्धा डहरिया एवं कृषि विस्तार अधिकारी के साथ बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसान उपस्थित थे और उन्होंने इस तकनीक को नजदीक से देखा और अपनाने की इच्छा जताई।
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