सतना जिले में जिले में फसल अवशेष या नरवाई जलाने पर प्रतिबंध
21 सितम्बर 2024, सतना: सतना जिले में जिले में फसल अवशेष या नरवाई जलाने पर प्रतिबंध – नरवाई से आग लगने की होने वाली घटनाओं, सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और पर्यावरणीय क्षति को रोकने के उद्देश्य से कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अनुराग वर्मा ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत आदेश जारी कर सतना जिले की चतुर्दिक राजस्व सीमा में फसल अवशेष, नरवाई को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। निर्देशों के उल्लंघन पर पर्यावरण क्षति पूर्ति की राशि 2500 से 15 हजार रुपये प्रति घटना वसूली जायेगी। साथ ही धारा 188 के तहत दंडनीय भी होगा।
कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट अनुराग वर्मा द्वारा जारी आदेश में फसलों की कटाई में उपयोग किये जाने वाले कंबाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया गया है। जिले में धान/गेहूं की नरवाई से कृषक भूसा प्राप्त करना चाहते हैं, तो उनकी मांग को देखते हुए स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के स्थान पर स्ट्रा रीपर के उपयोग को अनिवार्य किया जा सकता है। कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस अथवा स्ट्रा रीपर में से कोई भी एक मशीन साथ में रहना अनिवार्य रहेगा। जिले में चलने वाले कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम/स्ट्रा रीपर अनिवार्य किया जाकर जिला परिवहन अधिकारी एवं सहायक कृषि अभियांत्रिकी जिला सतना निरंतर निगरानी रखेंगे, साथ ही बिना स्ट्रा रीपर के कम्बाइन हार्वेस्टर चलाये जाने पर वैधानिक कार्यवाही करेंगे।
किसान फसल अवशेष/नरवाई न जलाएं, बल्कि इसका उपयोग आच्छादन/मल्चिंग एवं स्ट्रा रीपर से भूसा बनाकर पशुओं के भोजन या भूसे के विपणन से अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पर्यावरण विभाग द्वारा नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित कर दंड अधिरोपित करने का प्रावधान किया गया है। नोटिफिकेशन से पर्यावरण सुरक्षा हेतु माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश क्रम में Air (Prevention & control of pollution) एक्ट 1981 के अंतर्गत प्रदेश में फसलों विशेषतः धान एवं गेहूं की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाये जाने हेतु प्रतिबंधित किया गया है। जिसे तत्काल प्रभाव से सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में लागू किये जाने के निर्देश हैं। निर्देशों का उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति/निकाय को नोटीफिकेशन प्रावधानानुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी। जिसमें दो एकड़ से कम भूमिधारक कृषकों द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि 2500 रूपये, दो एकड़ से अधिक तथा पांच एकड़ से कम भूमिधारक कृषकों द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि 5000 रूपये तथा पांच एकड़ से अधिक भूमिधारक कृषकों द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि 15000 रूपये प्रति घटना देय होगी। जिले में आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिये उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास जिला सतना नोडल अधिकारी होंगे।
आदेश में उल्लेखित किसी भी शर्त का उल्लंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध होगा।ऐसी स्थिति निर्मित होने पर संबंधित कृषि विस्तार अधिकारी क्षेत्र के पटवारी के साथ संयुक्त जांच कर प्रतिवेदन संबंधित तहसीलदार को भेजेगें। जो अपचारी कृषकों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करते हुये अनुविभागीय दण्डाधिकारी के माध्यम से अंतिम निराकरण हेतु स्पष्ट अभिमत सहित अधोहस्ताक्षरी को प्रस्तुत करेंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
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