छत्तीसगढ़ की निरूपा साहू: घरेलू काम से लेकर आसमान तक का सफर, नमो ड्रोन दीदी योजना से बनीं आत्मनिर्भर
09 सितम्बर 2024, रायपुर: छत्तीसगढ़ की निरूपा साहू: घरेलू काम से लेकर आसमान तक का सफर, नमो ड्रोन दीदी योजना से बनीं आत्मनिर्भर – छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम लाहोद की निरूपा साहू ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिससे यह साबित हो गया है कि महिलाएं अब केवल चूल्हा-चौका तक सीमित नहीं हैं। निरूपा अब गांव में ‘ड्रोन वाली दीदी’ के नाम से मशहूर हो चुकी हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत उन्होंने ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग लेकर खुद को आत्मनिर्भर बनाया है और अब किसानों के खेतों में दवाई छिड़काव का काम कर रही हैं।
निरूपा साहू, जो 12वीं तक पढ़ी हैं, हमेशा से कुछ अलग और बड़ा करने की इच्छा रखती थीं। वह वैभव लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं और इसी के माध्यम से उन्हें ड्रोन चलाने की जानकारी मिली। उन्होंने ग्वालियर इंस्टीट्यूट से 15 दिन की ट्रेनिंग ली और आरपीसी लाइसेंस हासिल किया। अब वह गांव के किसानों के लिए ड्रोन के जरिए खेतों में दवाइयों का छिड़काव करती हैं, जिसके लिए वह 300 रुपये प्रति एकड़ चार्ज करती हैं। अब तक 80 एकड़ खेतों में छिड़काव कर चुकी निरूपा ने 25,000 रुपये की आमदनी की है।
ड्रोन तकनीक ने ना केवल निरूपा को आर्थिक रूप से सशक्त किया है, बल्कि गांव के किसानों को भी इसका लाभ मिला है। किसान परमेश्वर वर्मा बताते हैं कि पहले दवाई छिड़काव में समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता था, लेकिन ड्रोन की मदद से कुछ ही मिनटों में यह काम हो जाता है, और दवाइयों का छिड़काव भी बेहतर ढंग से होता है।
नमो ड्रोन दीदी योजना: महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर
निरूपा की सफलता के पीछे केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना का अहम योगदान है। इस योजना के तहत अगले चार वर्षों में 15,000 स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे। इन ड्रोन का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में उर्वरक, खाद और बीजों के छिड़काव के लिए किया जाएगा, जिससे नई तकनीक के जरिए महिलाओं को आजीविका के नए अवसर प्रदान होंगे।
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