राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

सरसों की खेती पर दिखाई दे रहा मौसम की धूप का असर

17 दिसंबर 2024, भोपाल: सरसों की खेती पर दिखाई दे रहा मौसम की धूप का असर – ठंड का मौसम है और लोग भले ही ठंड से बचाव का रास्ता अपना रहे हो लेकिन दोपहर में तेज धूप का असर सरसों की खेती पर दिखाई दे रहा है। किसानों का यह कहना है कि सुबह शाम सर्दी लगती है परंतु दोपहर में तेज धूप सरसों की खेती को प्रभावित कर रही है।

यदि राजस्थान प्रदेश की बात करें तो  यहां इस बार अधिक तापमान के कारण सरसों की खेती कम हुई है। जहां पर बुवाई हुई है वहां पर अधिक तापमान का असर सरसों के अंकुरण पर देखा जा रहा है। अधिक तापमान से सरसों के पौधों में बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार यूपी, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी सरसों की बुवाई प्रभावित हुई है जिससे पिछले साल के मुकाबले इस बार कुल क्षेत्रफल में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है। राजस्थान में इस बार अक्टूबर और नवंबर में तापमान सामान्य से अधिक रहा जो सरसों की फसल के लिए अच्छा नहीं था। कई स्थानों पर जल्दी बोई गई फसलें अंकुरित नहीं हो पाईं। ऐसे में किसानों को दूसरी फसलें उगाने पर मजबूर होना पड़ा मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में पिछले कुछ हफ्तों में प्रमुख सरसों उत्पादक जिलों में अधिकतम तापमान में सामान्य से 2 से 7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई। वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 21 नवंबर तक 30 लाख हैक्टेयर भूमि पर सरसों की बुवाई की गई है जो पिछले साल की तुलना में 7.2 प्रतिशत कम है। जिन किसानों ने इस साल सरसों की देरी से बुवाई की है। उन किसानों को सरसों की फसल को बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि नुकसान में कमी की जा सके। इस समय रात में तापमान कम और दिन में तापमान अधिक होने से सरसों में गलन की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए पेंटोनाइड सल्फर का डेढ से दो किलोग्राम प्रति बीघा के हिसाब से खेत में भुकराव करना चाहिए। सरसों के पौधों की जड़ में गलन की समस्या होने पर मेटालैक्सिल का आधा ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से फसल पर छिड़काव करना चाहिए। यदि रोग शुरुआती अवस्था में है तो ऐसी स्थिति में कार्बेंडाजिम दवा का 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इस बीमारी के साथ बैक्टीरिया संक्रमण की समस्या हो तो ऐसे में 15 लीटर पानी में 3 ग्राम स्टेप्टोसाइक्लीन और 30 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। सरसों की फसल में तना सड़न रोग की समस्या हो तो इसके उपचार के लिए रोगग्रसित फसल अवशेषों को जलाकर गाड़ देना चाहिए, इससे बीमारी फैलने का खतरा कम होता है। खेत को खरतपवार से मुक्त रखना चाहिए और फसल की आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने से बचना चाहिए। इसके अलावा कार्बेन्डाजिम (बविस्टीन) दवा की 1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements