एमपी एग्रो दे रहा किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक
एम.पी. एग्रो के प्रबंध संचालक श्री दिलीप कुमार से कृषक जगत की बातचीत
लेखक: अतुल सक्सेना
01 अक्टूबर 2024, भोपाल: एमपी एग्रो दे रहा किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक – म.प्र. राज्य कृषि उद्योग विकास निगम (एम.पी. एग्रो) को लाभ में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत किसानों को गुणवत्तापूर्ण उर्वरक विपणन, तरल जीवाणु खाद की भी बिक्री प्रारंभ की गई है जिससे आय में इजाफा हो रहा है। यह जानकारी एम.पी. एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक श्री दिलीप कुमार (आईएएस) ने कृषक जगत को एक विशेष मुलाकात में दी।
श्री कुमार ने बताया कि निगम ने सभी अनाज, उद्यानिकी तथा औषधीय फसलों व वन वृक्षों के लिए नर्मदा ब्रांड तरल जीवाणु खाद तैयार की है जो नर्मदा एजेटोवेक्टर कल्चर, नर्मदा पीएसबी कल्चर, नर्मदा पोटाश कल्चर एवं नर्मदा राइजोबियम कल्चर के नाम से विक्रय की जा रही है। उन्होंने बताया कि इसकी कीमत 350 रु. प्रति लीटर रखी गई है।
तरल उर्वरक का व्यापक प्रचार
प्रबंध संचालक ने बताया कि अब तक लगभग 45 हजार लीटर से अधिक बायो फर्टिलाइजर बेचा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में किसानों के मध्य इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है जिससे किसान अधिक से अधिक लाभ उठा सकें और भविष्य में इस श्रृंखला में अन्य उत्पाद जोड़कर व्यवसाय का विस्तार किया जा सके।
यंत्रों का अनुदान पर विक्रय
श्री कुमार ने बताया कि निगम द्वारा प्रदेश में फर्टिलाइजर विपणन का कार्य किया जा रहा है। जिला शाखाओं के माध्यम से 125 करोड़ रुपए का उर्वरक व्यवसाय इस वर्ष किया गया है। इसके साथ ही एमपी एग्रो द्वारा कृषि यंत्रों जैसे उद्यानिकी टूलकिट, ड्रिप, स्प्रिंकलर, पावर टिलर, वीडर सहित मांग अनुसार यंत्रों का विपणन भी अनुदान पर किया जा रहा है।
कल्चर जैविक खाद
तरल जीवाणु खाद कल्चर उपयोग के संबंध में श्री कुमार ने बताया कि यह भूमि उपचार, बीजोपचार, रोपा लगाने एवं खड़ी फसल में उपयोगी है। इसके प्रयोग से पौधे को मजबूती मिलने के साथ-साथ उत्पादन में वृद्धि भी होती है। उन्होंने बताया कि यह कल्चर रासायनिक खाद नहीं जैविक खाद है इसलिए इसे रासायनिक खाद से अलग रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि बीज को बोने से पहले यदि किसी अन्य कीटनाशक एवं फफूंदीनाशक से उपचारित किया गया है तो उसे कल्चर से उपचारित करने के लिए कल्चर की मात्रा 2 गुनी होना चाहिए। प्रबंध संचालक ने बताया कि वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए किसानों एवं नागरिकों को जैविक खेती अपनाना चाहिए जिससे परिवार और पर्यावरण को निरोगी रखा जा सके I
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