राज्य कृषि समाचार (State News)

जैविक खेती की तरफ बढ़ना समय की मांग

‘जैविक खेती समस्या और समाधान ‘ विषय पर वेबिनार संपन्न

02 दिसंबर 2024, इंदौर: जैविक खेती की तरफ बढ़ना समय की मांग – राष्ट्रीय कृषि अख़बार ‘कृषक जगत ‘ एवं मल्टीप्लेक्स  ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में कृषक जगत किसान सत्र के अंतर्गत गत दिनों ‘ जैविक खेती समस्या  और समाधान ‘ विषय पर ऑन लाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। इसके प्रमुख वक्ता श्री नागेंद्र शुक्ला, चीफ मार्केटिंग मैनेजर और डॉ निरंजन  एच.जी.  टेक्निकल हेड , मल्टीप्लेक्स ग्रुप थे। इस वेबिनार में  जैविक खेती की समस्याओं और उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा की गई। इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में  मध्यप्रदेश जैविक प्रमाणीकरण संस्था , भोपाल के एमडी श्री जी.पी. प्रजापति शामिल हुए , उन्होंने जैविक खेती के प्रमाणीकरण से संबंधित जानकारी दी। प्रश्नोत्तरी में किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। कृषि ज्ञान प्रतियोगिता के दो  विजेताओं को मल्टीप्लेक्स के उत्पाद उपहार स्वरूप दिए जाने की घोषणा की गई। वेबिनार का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोंद्रिया ने किया।

Advertisement
Advertisement

रासायनिक उर्वरक का अंधाधुंध प्रयोग – आरम्भ में श्री शुक्ला ने कहा कि देश में जब हरित क्रांति आई थी, तो उस समय देश को खाद्यान में आत्म निर्भर बनाने के लिए रासायनिक आदान समय की ज़रूरत थी , लेकिन बाद में रासायनिक उर्वरक के लगातार अंधाधुंध प्रयोग से खेती की ज़मीन कठोर होकर बंजर होती जा रही है। फसलों पर कीट और रोगों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। श्री शुक्ला ने कहा कि रसायनों के निरंतर प्रयोग से ज़मीन की उर्वरा शक्ति कम हो गई है, जिससे उत्पादन कम हो गया है। खेती के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना ज़रूरी है। स्वस्थ मिट्टी में 25 % हवा, 25 % पानी , 45 %पोषक तत्व और 5 % जैविक तत्व होना आवश्यक है। मिट्टी में जैविक कार्बन का अनुपात सही होना चाहिए। मिट्टी में 6.5 से 7.5 का पीएच  अच्छा माना जाता है। मित्र जीव कम नहीं होना चाहिए। केंचुआ किसानों का बहुत मददगार जीव है।

जैविक खेती की तरफ बढ़ना समय की मांग – रसायनों के दुष्प्रभाव  को देखते हुए जैविक खेती की तरफ बढ़ना समय की मांग है। किसानों को जैविक खेती  के विकल्पों की ओर प्रेरित कर पाएं यही इस वेबिनार का उद्देश्य है। मल्टीप्लेक्स के पास रासायनिक के अलावा  जैविक खेती के लिए  बेहतर विकल्प की विस्तृत श्रृंखला मौजूद  है। बेंगलुरु में बनने वाले हमारे उत्पादआईएमओ संस्था से प्रमाणित एवं जैविक खेती के लिए अनुशंसित हैं। जैविक खेती के समक्ष फसल उत्पादन कम होने,फसलों पर रोग एवं कीट बढ़ने ,प्राकृतिक आपदा के प्रभाव और बाज़ार में जैविक उत्पाद का उचित दाम नहीं मिलने जैसी चुनौतियाँ हैं। एक ओर जैविक किसानों को जैविक उत्पाद बेचने के लिए ग्राहक नहीं मिल रहे हैं , वहीं दूसरी ओर कई ग्राहक जैविक उत्पाद  खोजते रहते हैं। इस विसंगति को दूर करने हेतु मल्टीप्लेक्स जैविक कृषकों को मध्यस्थ के रूप में मदद करने को तैयार है, ताकि जैविक उत्पाद की उपलब्धता बनी रहे और किसानों को भी अच्छा दाम  मिले।  

Advertisement8
Advertisement

दो दशकों में बढ़ा रासायनिक खाद का प्रचलन –  डॉ निरंजन ने  दृश्य -श्रव्य  माध्यम से  विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि गत दो दशकों से खेती में रासायनिक  खाद का प्रचलन बहुत बढ़ गया है। भूमि में सभी पोषक तत्वों की कमी के कारण की भूमि की उर्वरता कम होती जा रही है। जैविक खाद, मित्र जीवों से बनता है। जैविक पदार्थ से इनका जीवन चक्र चलता है। सूक्ष्म जीव इनसे  भोजन लेते हैं और इनके द्वारा छोड़े गए अवशेष को पौधे पोषक तत्व के रूप में लेते हैं । जबकि रासायनिक पदार्थों का एकांगी मार्ग होता है। अच्छी पैदावार के लिए पौधों को मिट्टी ,रोशनी, हवा, पानी और 17 पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। मल्टीप्लेक्स के जैविक उत्पाद सूक्ष्म जीवों की संख्या और  मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं , जिससे उत्पादन भी अच्छा होता है। जैविक फेरोमोन ट्रैप से भी कीट -पतंगों पर नियंत्रण होता है।

Advertisement8
Advertisement

मल्टीप्लेक्स के विभिन्न जैविक उत्पाद –  डॉ निरंजन ने  डीएपी के विकल्प में कम्पनी के जैविक उत्पाद ग्रीन फास्फोरस की  विशेषता बताते हुए कहा कि प्रायः ज़मीन में बरसों तक फास्फोरस जमा रहता है , क्योंकि वह अपटेक नहीं हो पाता है। लेकिन  ग्रीन फास्फोरस न केवल पूरा अपटेक होता है, बल्कि  इससे पौधे की अंदरूनी क्षमता और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। बुआई के समय 60 किलो /एकड़ की दर से इस्तेमाल करें। इसका अगले साल भी रिटर्न मिलता है। इसके अलावा कम्पनी के अन्य उत्पाद सोलुब्लाइजिंग बैक्टेरिया  फास्फोरस सोलुशन दुर्गा, जैविक फफूंद वाले त्रिशूल, , त्रिशूल प्लस , मोबिलाइजिंग बायो फर्टिलाइजर शक्ति ,एमओपी के बदले ह्यूमिक एसिड और फल्विक एसिड  मिश्रित ग्रीन पोटाश के गुण बताए , जो खास तौर से आलू की फसल में बहुत उपयोगी  है।  इसे 40 -80  किलो /एकड़ दर से शुरू में डालने की सलाह दी है। डॉ निरंजन ने कहा कि फसल में जैविक पदार्थ का होना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए हमारा उत्पाद अन्नपूर्णा फसलों के लिए पूर्ण आहार है । इसकी  देश के अलावा 17 अन्य देशों में भी खूब मांग है। यह बीज के अंकुरण , पौधे की वृद्धि , मिट्टी में पानी क्षमता और  अपटेक बढ़ाता है।  इसको शुरुआत में 90 – 120  किलो / एकड़ की दर से इस्तेमाल करना चाहिए।  आपने मिश्रित उत्पाद आर्गेनिक मैजिक ए जैविक फफूंदनाशक निसर्गा अन्य उत्पाद स्पर्शा ,सेफरुट, सोल्जर ,माइक्रो माइट , नलपाक , मिंचू प्लस , बाबा , बायो स्ट्राइक, मल्टी नीम , नीम का तेल और नीम प्योर और फाल आउट सुगन्धित ट्रैप  एवं ट्रैप उत्पाद अट्रैक्ट की विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके अलावा  डिकम्पोजर का उल्लेख किया जो सड़ने की प्रक्रिया को स्वाभाविक रूप से तेज़ कर दो माह में खाद तैयार  कर देता है। इसकी 100 मिली लीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में डालकर प्रयोग करें। श्री शुक्ला ने कम्पनी उत्पादों का प्रयोग के तौर पर एक एकड़ में ट्राय करने की अपील के साथ जैविक कृषकों की उपज की मार्केटिंग के लिए मल्टीप्लेक्स की ओर से मदद करने की मांग पुनः दोहराई। इस संबंध में जैविक कृषक श्री शुक्ला से मोबाइल नंबर 9425906065  पर सम्पर्क कर सकते हैं

कैसे करें जैविक खेती का पंजीयन ? – मप्र जैविक प्रमाणीकरण संस्था के प्रबंध निदेशक  श्री प्रजापति भी वेबिनार में शामिल हुए और जैविक खेती के पंजीयन संबंधी जानकारी विस्तार से  देते हुए बताया कि  मध्यप्रदेश जैविक प्रमाणीकरण संस्था, एपीडा  (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority ) जिसे हिंदी में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण, कहा जाता है , से मान्यता प्राप्त  संस्था है। जैविक खेती के लिए पंजीकरण  हेतु  संस्था की वेबसाइट www.mpsoca.orgअथवा  भोपाल स्थित कार्यालय से आवेदन प्राप्त किए जा सकते हैं। पंजीयन के लिए  आवेदक को व्यक्तिगत जानकारी , ज़मीन के दस्तावेज़ और अनुबंध पत्र आदि देना अनिवार्य होता है। वहीं वर्तमान फसल एवं आगामी वर्षों में ली जाने वाली फसलों का विवरण  एवं ज़मीन के अनुसार निर्धारित शुल्क जो करीब 5 हज़ार वार्षिक होता है, देना पड़ता है । जैविक प्रमाणीकरण निरीक्षक द्वारा आवेदक के खेत का हर वर्ष निरीक्षण  किया जाता है । पंजीकृत जैविक कृषक को खेती में दिए जाने वाले आदानों का विवरण एक डायरी में लिखना अनिवार्य होता है। जिसकी रिपोर्ट जमा की जाती है । सामान्यतः आवेदक  कृषक को जैविक खेती का ज्ञान होना चाहिए । जैविक कृषक  के लिए  कुछ सीमाएं भी हैं, जिसे वह रासायनिक उर्वरक / कीटनाशक /बीज उपचार का प्रयोग नहीं कर सकता है। रासायनिक खेती करने वाले  पड़ोसी के खेत के पानी को अपने खेत में  आने से रोकने अथवा  खेत पड़ोसी द्वारा रासायनिक कीटनाशक के छिड़काव  के समय जैविक फसल को बचाने के लिए  मेड़  की दूरी अधिक रखने तथा ज्वार -मक्का जैसी ऊंचाई वाली फसल लगाने की  व्यवस्था करना आवश्यक होता है । जैविक प्रमाण पत्र पहले साल सी -1  और दूसरे साल सी -2 का मौसमी फसलों के लिए दिया जाता है , जबकि 24 माह के बाद  बागवानी फसलों आम -अमरुद आदि के लिए सी -3  तीन वर्ष के बाद दिया जाता है। इसका हर वर्ष नवीनीकरण कराना पड़ता है। आईएमओ से प्रमाणित उत्पाद जैविक खेती के लिए  अनुशंसित हैं। मप्र में अब तक 140  किसानों ने जैविक खेती के लिए पंजीयन कराया है। किसान समूह, प्रोसेसिंग एवं फॉरेस्ट के किसानों को मिलाकर यह संख्या अभी 233  है। किसान संस्था की वेबसाइट अथवा डॉ प्रजापति से मोबाइल नंबर 8085891469  पर सम्पर्क करें।

प्रश्नोत्तरी –   पालखांदा ( उज्जैन ) के श्री शैलेन्द्र झाला ने  लिक्विड -एन को जैविक खेती के लिए मान्य होने  संबंधी सवाल  किया ।जबकि दमोह के श्री देवेंद्र पटेल ने पेट्रोल और बैटरी वाले  स्प्रेयर एवं मटर फसल में उपयोग संबंधी प्रश्न पूछा , वहीं मंदसौर के श्री सुशील पाटीदार ने नीम तेल के पानी में नहीं घुलने संबंधी सवाल किया।  तीनों प्रश्नकर्ताओं को श्री शुक्ला और डॉ निरंजन ने समाधानकारक जवाब दिया।

कृषि ज्ञान प्रतियोगिता –  कृषि ज्ञान प्रतियोगिता में तीन प्रश्न पूछे गए थे । पहले प्रश्न के लिए श्री विनोद चौहान , खरगोन और श्री सुशील पाटीदार , मंदसौर संयुक्त विजेता बने। वहीं दूसरे और तीसरे प्रश्न के विजेता श्री विनोद चौहान रहे।  मल्टीप्लेक्स कंपनी की ओर से  संयुक्त विजेता को 500  मिली लीटर जीव रस और श्री चौहान को 500 मिली लीटर सम रस और एक किलो निसर्गा का उपहार देने की घोषणा की गई।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement