मोनोक्रोटोफॉस का कपास, गन्ना, धान में उपयोग हो सकता है
22 फरवरी 2021, नई दिल्ली । मोनोक्रोटोफॉस का कपास, गन्ना, धान में उपयोग हो सकता है – कीटनाशकों से संबंधित सवाल के जवाब में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बताया कि कीटनाशकों का उपयोग यदि पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित लेबल एवं लिफलेट के अनुसार किया जाता है तो इनका मानव, पशुओं तथा पर्यावरण पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
उन्होंने बताया कि कीटनाशियों की बिक्री एवं उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय मानव एवं पशु स्वास्थ्य पर उनके होने वाले जोखिमों के मूल्यांकन पर आधारित होता है। भारत में कृषि में उपयोग के लिए मोनोक्रोटोफॉस का पंजीकरण वर्ष 1993, 1995 एवं 2005 में की गई तकनीकी समीक्षा के अधीन किया जाता था। केन्द्र सरकार ने अपनी अधिसूचना एस.ओ. 1482 (ई) दिनांक 10 अक्टूबर 2005 को मोनोक्रोटोफॉस का सब्जियों पर उपयोग करने पर इस आदेश के प्रकाशन की तिथि से प्रतिबंध लगा दिया था। श्री तोमर ने कहा कि यद्यपि यह अभी भी अन्य फसलों जैसे कपास, धान, मक्का, चना, अरहर, मूंग, गन्ना, नारियल, नींबू, आम, काफी एवं काली मिर्च की फसलों में इनका उपयोग पंजीकृत है। इसके अतिरिक्त सुरक्षा के मुद्दों के कारण देश में 12 ओग्रेनोफोसफेट मोलेक्यूल्स पर प्रतिबंध लगाया गया है। 21 ओग्रेनोफोसफेट मानव, पशु के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की कुशलता एवं सुरक्षा की समीक्षा करने के पश्चात पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित लेबल एवं लीफलेट के अनुसार विभिन्न कृषि फसलों में देश में उपयोग करने में वर्तमान में पंजीकृत है।
कृषि मंत्री ने बताया कि पंजीकृत कीटनाशियों का सुरक्षा और प्रभावकारिता की दृष्टि से नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर और पंजीकरण समिति के साथ पर्याप्त विचार-विमर्श करने के पश्चात कृषि मंत्रालय ने देश में निर्यात, विनिर्माण अथवा बिक्री के लिए अभी तक 46 कीटनाशियों एवं 4 कीटनाशी संयोजन को प्रतिबंधित अथवा उपयोग से बाहर कर दिया है। इसके अतिरिक्त 5 प्रतिबंधित कीटनाशियों का निर्माण केवल निर्यात के लिए करने की अनुमति दी है, 8 कीटनाशी का पंजीकरण वापिस ले लिया है तथा 9 कीटनाशियों को सीमित उपयोग के लिए रखा गया है।
ई-नाम से म.प्र. की 80 मंडिया जुड़ी
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि भारत सरकार ने गत 14 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) योजना की शुरुआत की थी। ई-नाम किसानों के उत्पाद के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य दिलाने में किसानों को समर्थ बनाने के लिए पारदर्शी मूल्य खोज प्रणाली के माध्यम से कृषि और बागवानी फसलों के ऑनलाईन व्यापार की सुविधा देने के लिए विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की भौतिक थोक मंडियों का एकीकरण करने वाले वर्चुअल प्लेटफार्म है। लोकसभा में उक्त जानकारी देते हुए श्री तोमर ने बताया कि अब तक मध्य प्रदेश की 80 मंडियों को ई-नाम प्लेटफार्म के साथ जोड़ा गया है। इसमें मध्य प्रदेश में 10.64 लाख किसानों ने कारोबार किया है और ई-नाम का लाभ उठाया है।
लोकसभा के उत्तर में लापरवाही
लोकसभा, राज्यसभा एवं विधानसभा में पूछे जाने वाले प्रश्न एवं उत्तर में काफी सावधानी बरती जाती है तथा इसे गंभीरता से लिया जाता है। इसके बावजूद लोकसभा के प्रश्न जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बड़ी लापरवाही सामने आयी है।
जानकारी के मुताबिक लोकसभा के प्रश्न संख्या 1195 दिनांक 9 फरवरी 2021 को कीटनाशकों के संबंध में श्रीजी.एम. सिद्देश्वर, डॉ. भारती प्रवीण पवार एवं धर्मवीर सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर (ख) में लिखा है केन्द्र सरकार ने अपनी अधिसूचना एस.ओ. 1482 (ई) दिनांक 10 अक्टूबर 2025 को मोनोक्रोटोफॉस का सब्जियों पर उपयोग करने पर इस आदेश के प्रकाशन की तिथि से प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि यह 10 अक्टूबर 2005 होना चाहिए था। 2025 आने में अभी 4 वर्ष शेष है। इस प्रकार की लापरवाही सवाल एवं उत्तर का अर्थ बदल सकती है तथा उत्तर देने वाले की किरकिरी भी होती है।
म.प्र. की ई-नाम के साथ जोड़ी गई मंडियां
अंजड़, नागौद, रायसेन, नसरुल्लागंज, उदयपुरा, बानापुरा, बड़वाह, सनावद, भीकनगांव, करही, शिवपुरी गंधवानी, कुक्षी, करेली, सौंसर, पांढुर्ना, खुरई, कुंभराज, लश्कर, कोलारस, सिंगरौली, धामनोद, बैतूल, बालाघाट, सेंधवा, बैरसिया, करोंद, बुरहानपुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, खातेगांव, बदनावर, धार, गुना, अशोक नगर, डबरा, दतिया, हरदा, खिरकिया, टिमरनी, इटारसी, पिपरिया, इंदौर, महू, जबलपुर, सिहोरा, शाहपुरा-भिटौनी, कटनी, खंडवा, खरगोन, मंडला, मंदसौर, मुरैना, गाडरवारा, नीमच, बरेली, ओबैदुल्लागंज, ब्यावरा, जौरा, रतलाम, रीवा, बीना, सागर, सांवेर, सतना, अष्टा, सीहोर, सिवनी, आगर, शाजापुर, शुजालपुर, श्योपुरकलां, टीकमगढ़, बडऩगर, महिदपुर, उज्जैन, गंज बासोदा, विदिशा।