राज्य कृषि समाचार (State News)

सूक्ष्म सिंचाई: जल, समय और धन की बचत का कुशल तरीका

09 जनवरी 2025, सीतापुर: सूक्ष्म सिंचाई: जल, समय और धन की बचत का कुशल तरीका – कृषि विज्ञान केंद्र-2, कटिया में उत्तर प्रदेश सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (UPMIP) के तहत “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों के महत्व और लाभों से अवगत कराना था। उद्यान विभाग सीतापुर के सहयोग से आयोजित इस प्रशिक्षण का उद्घाटन जिला उद्यान अधिकारी सुश्री राजश्री ने किया। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली किसानों को जल संरक्षण और फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है।

सुश्री राजश्री ने कहा कि “UPMIP योजना” के माध्यम से किसानों को आधुनिक सिंचाई उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो जल उपयोग को नियंत्रित करते हैं और खेती को अधिक लाभदायक बनाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना का लाभ केवल खेत मालिकों को ही नहीं, बल्कि संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) करने वाले और लीज पर खेती करने वाले किसान भी उठा सकते हैं, बशर्ते उनके पास आवश्यक दस्तावेज हों।

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. दया एस श्रीवास्तव ने जल संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “जल है तो कल है।” उन्होंने किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियां अपनाने की सलाह दी, जिससे न केवल जल की बचत होगी, बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा।

मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर ने समझाया कि सूक्ष्म सिंचाई तकनीक पानी की वास्तविक आवश्यकता को समझकर उसे संयमपूर्वक उपयोग करने में मदद करती है। प्रसार वैज्ञानिक श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह ने किसानों को पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, जिसमें आधार कार्ड, खतौनी, और बैंक पासबुक जैसे दस्तावेज अनिवार्य हैं।

पशुपालन वैज्ञानिक डॉ.आनंद सिंह ने बताया कि जल संरक्षण से पशुपालन गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिल सकता है। गृह वैज्ञानिक डॉ.रीमा ने महिलाओं को सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों के लाभों के प्रति जागरूक किया। वहीं, शस्य वैज्ञानिक डॉ.शिशिर कांत सिंह ने टपक और फव्वारा सिंचाई की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक के उपयोग से सिंचाई और कीटनाशक छिड़काव में समय और पानी की बचत की जा सकती है।

कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान श्री अशोक गुप्ता ने प्राकृतिक खेती में सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों की उपयोगिता पर व्याख्यान दिया और जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपील की। वहीं, श्री विनोद कुमार मौर्या ने औषधीय और सगंध पौधों की खेती और उनकी बाजार व्यवस्था पर किसानों को प्रेरित किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.योगेंद्र प्रताप सिंह ने किया। उन्होंने किसानों को सूचित किया कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के लिए किसान अपनी पसंदीदा पंजीकृत फर्म से उपकरण स्थापित करा सकते हैं। सत्यापन के बाद अनुदान की राशि सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित की जाएगी।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के 50 किसानों ने सक्रिय भागीदारी की और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनी खेती में अपनाने के लिए प्रेरित हुए। यह आयोजन जल, समय और धन के कुशल उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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