केवीके टीकमगढ़ की मत्स्य-पालकों को सितम्बर माह की सलाह
05 सितम्बर 2025, टीकमगढ़: केवीके टीकमगढ़ की मत्स्य-पालकों को सितम्बर माह की सलाह – कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वैज्ञानिक (मत्स्य पालन) डॉ. सतेंद्र कुमार तथाप्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी. एस. किरार ने मत्स्य-पालकों के लिए सितम्बर माह हेतु सलाह जारी की है। डॉ. बी. एस. किरार ने बताया कि सितम्बर का महीना मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संक्रमण काल होता है, जो मानसून की विदाई और आने वाले शीतकाल की तैयारी का संकेत देता है। इस महीने में किए गए सही कार्य न केवल मछलियों के स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करते हैं, बल्कि आगामी महीनों में अधिकतम उत्पादन और लाभ भी प्रदान करते हैं।
वर्षा की स्थिति में, यदि मछली पानी की सतह पर आ रही है और ऑक्सीजन की कमी के कारण वायुमंडलीय हवा को ग़्रहण करने की कोशिश कर रही है, तो ताजे पानी या एरीएटर के उपयोग से पानी को तुरंत हवा दें, खिलाना बंद कर दें। आंशिक रुप से मछ्ली निकासी की जाएं, यदि मत्स्य संचयन दर अनुशंसित घनत्व से अधिक है। भारी तीव्र वर्षा के परिणामस्वरूप पानी की ऊपरी परतों में अचानक अचानक पीएच परिवर्तन हो सकता है जो मछली के विकास को प्रभावित करता है और गंभीर स्थिति में मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इसलिए तालाब के पानी को वातन (एरिएशन) और समय-समय पर आंशिक रूप से पानी बदलने की सलाह दी जाती है। इस प्रयोजन के लिए, यदि संभव हो तो खेतों की सिंचाई के लिए तालाब के पानी का उपयोग करने और तालाबों में ताजा पानी डालने की सिफारिश की जाती है।
मत्स्य बीज उत्पादकों को सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह के बाद स्पॉन उत्पादन का कार्य बंद कर देना चाहिए। पंगेशियस मछली का पालन करने वाले कृषकों को पूरक आहार प्रबंधन के क्रम में मछली के कुल औसत वजन के हिसाब से छः माह की पालन अवधि में क्रमशः 6 प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 4 प्रतिशत, 3 प्रतिशत, 2 प्रतिशत एवं 1.5 प्रतिशत प्रथम माह से छठा माह तक पूरक आहार देना चाहिए। पालन अवधि में मछली के औसत वजन के हिसाब से प्रथम दो माह 32 प्रतिशत प्रोटीन युक्त आहार अगले दो माह 28 प्रतिशत पाँचवे माह में 25 प्रतिशत एवं छठे माह में 20 प्रतिशत प्रोटीन युक्त आहार प्राथमिकता के आधार पर प्रयोग करें। मौसम का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम एवं 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर देना चाहिए।
तालाब का पानी अत्याधिक हरा हो जाने पर रासायनिक उर्वरक एवं चूना का प्रयोग एक माह तक बन्द कर देना चाहिए, इसके बाद भी यदि हरापन नियंत्रित नहीं हो तो दोपहर के समय 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत ) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़काव करना चाहिए। तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर ऑक्सीजन बढ़ाने वाला टेवलेट का छिड़काव 400 ग्राम / एकड़ की दर से करें या शाम एवं सुवह में 2 घंटा एयरेटर चलाएँ। नर्सरी तालाब में अत्याधिक रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करें।
मछली की जल्द बढ़वार के लिए फीड सप्लीमेंट के रूप में प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम सूक्ष्म खनिज तत्व (मिनरल मिक्सचर), 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एम०एल / किलोग्राम भोजन में मिलाकर प्रतिदिन खिलाना चाहिए। मछली को संक्रमण से बचाने हेतु प्रति 15 दिन पर पी०एच० मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोल कर छिड़काव करें एवं माह में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट को पानी में घोल कर छिड़काव करें। मछली को परजीवी जनित संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दो बार (दो माह पर) 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोल कर छिड़काव करें एवं माह में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलायें। पंगेशियस मछली के तालाब में दो माह पर 20 कि० ग्रा० प्रति एकड़ की दर से नमक का छिड़काव करें।
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