राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषक जगत सर्वे खंडित वर्षा से खरपतवार नाशक की खपत हुई कम

13 जुलाई 2024, इंदौर: कृषक जगत सर्वे खंडित वर्षा से खरपतवार नाशक की खपत हुई कम – मौसम विभाग द्वारा इस वर्ष अच्छी वर्षा होने का पूर्वानुमान जताया गया था । कई इलाकों में समय से वर्षा हुई तो किसानों ने खरीफ की बोनी भी कर दी। लेकिन वर्षा के अंतराल और उस पर खंडित वर्षा ने किसानों को चिंतित कर दिया है। अल्प वर्षा होने से खेतों में खरपतवार भी कम उगे ,फलस्वरूप इस वर्ष खरपतवारनाशकों की खपत भी कम हुई। मौसम खुला रहने से किसानों ने डोरे चलाकर खरपतवारों को   खत्म करने की कोशिश की । खरतपतवार को लेकर कृषक जगत ने  इंदौर ,पांढुर्ना, खरगोन , खंडवा, बड़वानी, धार ,झाबुआ जिलों के चुनिंदा किसानों और कृषि आदान विक्रेताओं से चर्चा की ,जिसमें जहाँ किसानों ने खरपतवारनाशकों की पैकिंग पर अधिकतम खुदरा मूल्य बहुत अधिक छापने पर आपत्ति जताई, तो किसीने अप्रभावी रहने की बात कही ,वहीं कृषिआदान विक्रेताओं ने कहा कि इस वर्ष खरपतवारनाशकों की बिक्री कम होने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है।

इंदौर जिले – की सांवेर तहसील के ग्राम कदवाली खुर्द किसान श्री सतीश गेहलोत ने खरपतवारनाशक के अच्छेनतीजे नहीं मिलने की बात कही और कहा कि छिड़काव के बाद वर्षा नहीं होने से खरपतवार नष्ट नहीं हुए , तो अब डोरे चलाएं हैं , ताकि कतार के साथ की घास नष्ट की जा सके। जबकि हातोद तहसील के ग्राम रोजड़ी के श्री लोकेश पटेल का कहना था कि खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 72 घंटे के अंदर इस्तेमाल करने वाली दवाई डाली थी , जिसके परिणाम ठीक रहे। फिर भी कुछ खरपतवार दिखाई दे रहे हैं , जिसे मौसम अनुकूल रहने पर डोरे चलाकर नष्ट करेंगे। देपालपुर तहसील के ग्राम गोकलपुर के श्री पवन जाट वर्षों से बुवाई से पहले वाले खरपतवारनाशक का प्रयोग करते हैं और संतुष्ट हैं। खेतों के निचले हिस्सों में अधिक वर्षा से चारा ज़्यादा उगा है जिसे नष्ट करने के लिए ट्रैक्टर से डोरे चलाए जा रहे हैं।

पांढुर्ना जिले –  के ग्राम धावड़ीखापा के किसान श्री विनय डिगरसे की मक्का ,मूंगफली, और कपास की फसल में फ़िलहाल खरपतवार की समस्या कम है , इसलिए स्प्रे नहीं किया है। ज़रूरत पड़ने पर निंदाई कर लेते हैं या डोरे चलाते हैं। वहीं इसी जिले के ग्राम हिरवा सेडनवार के श्री प्रकाश डोंगरे की गोभी, तुअर और कपास की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए स्प्रे किया है। श्री डोंगरे ने खरपतवारनाशकों की पैकिंग पर अधिकतम खुदरा मूल्य को ज़्यादा छापने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे किसान का आर्थिक नुकसान ज़्यादा होता है , क्योंकि कई व्यापारी अधिकतम मूल्य पर ही उत्पाद बेचते हैं। श्री डोंगरे ने कहा कि महात्मा गाँधी रोज़गार गारंटी योजना के कारण किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इस योजना में बहुत भ्रष्टाचार हो रहा है। श्री राजेश घोड़े , पांढुर्ना ने ढाई एकड़ में मक्का  और  तुअर की देर से बोनी की है , इसलिए अभी खरपतवार की समस्या नहीं है। तिगांव के किसान श्री मोहन राउत ने सोयाबीन और तुअर लगाई है। खरपतवारनाशक का स्प्रे किया जा रहा है। यहाँ रुक -रुक कर वर्षा हो रही है। ग्राम नांदनवाड़ी के श्री बाजीराव देशमुख ने इस बार खरीफ में मक्का, सोयाबीन और अरहर लगाई है। मक्का फसल में हर साल मक्का प्रजाति की बर्रू घास उग आती है , जो फसल को नुकसान पहुंचाती है। खरपतवारनाशक के प्रयोग के बाद भी यह खत्म नहीं होती है।इस बारे में केवीके छिंदवाड़ा से सम्पर्क किया तो वहाँ के वैज्ञानिकों ने बताया कि इस पर अभी अनुसंधान चल रहा है। ग्राम भण्डारगोदी के श्री नीलेश कलसकर ने तुअर , मूंगफली और मूंग  की बोनी की है । तीन साल के संतरे के पेड़ भी हैं। इनके बीच अंतरवर्तीय फसल भी लगाते हैं। खरपतवार की समस्या है ,जिसके समाधान के लिए छिड़काव की तैयारी है।

खरगोन जिले –  के ग्राम छोटी खरगोन ( महेश्वर ) के श्री जगदीश बर्फा ने सोयाबीन और कपास की बोनी देर से की है , इसलिए अभी खरपतवार की समस्या नहीं है। लेकिन वर्षा नहीं होने से चिंतित हैं। बारिश की सख्त दरकार है।  इसी क्षेत्र के ग्राम  भुदरी के श्री जितेंद्र पाटीदार और श्री गणेश पाटीदार बिठेर ( कसरावद )ने  कपास और सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 72 घंटे में प्रयोग की जाने वाली दवाई का इस्तेमाल किया है। दो दिन पूर्व हुई वर्षा से थोड़ी राहत मिली है। अभी खरपतवारनाशक का स्प्रे नहीं किया है। भीकनगांव के श्री आशीष मालवीया भी कम वर्षा से चिंतित हैं। इन्हें अपनी मिर्च और कपास फसल की चिंता है।

खंडवा जिले – के ग्राम अवलिया ( पंधाना ) के श्री भगवान शंकरलाल पटेल ने सोयाबीन,मिर्च , टमाटर और अदरक लगाई है। 17 जून को बोई सोयाबीन में खरपतवार नाशक का एक स्प्रे हो चुका है। क्षेत्र में वर्षा कम हुई है।  प्रतियोगिता के चलते दुकानदार खरपतवारनाशकों को अलग-अलग दाम में बेचते हैं। किसान भी चार दुकानों पर भाव पता कर सामग्री खरीदता है। ग्राम छैगांवदेवी (छैगांवमाखन ) के श्री ललित प्रेमलाल राठौर को अपनी सोयाबीन और कपास फसल की चिंता है। 15  दिन से वर्षा नहीं होने से चिंता बढ़ती जा रही है। बोनी के बाद खरपतवारनाशी का एक छिड़काव किया गया था। पंधाना के श्री राजेंद्र मंशाराम महाजन ने सोयाबीन में खरपतवार के खात्मे के लिए एक स्प्रे किया है। क्षेत्र में  वर्षा की स्थिति ठीक है। श्री महाजन ने कीटनाशकों का वास्तविक बिक्री मूल्य छापने की गुजारिश की। इमलीपुरा (रुस्तमपुर ) के श्री खेमचंद दयाराम कुशवाह ने अपनी मक्का और सोयाबीन की फसल में खरपतवारनाशी का प्रयोग किया है। इनका भी कहना था कि कीटनाशकों की एमआरपी बहुत अधिक दर्शाई जाती है। प्रतियोगिता के चलते 1900 रु मूल्य वाला उत्पाद भी दुकानदार स्वयं 1100 में बेचता है। ऐसे में किसान भ्रमित  हो जाते हैं। गुर्जरखेड़ी (खंडवा ) के श्री अनिल डोंगरसिंह पंवार ने 6 एकड़ में कपास लगाया है। इलाके में कम पानी गिरा है। इसलिए अभी खरपतवारनाशी का छिड़काव नहीं किया है।

झाबुआ जिले –  के ग्राम जामली ( पेटलावद ) के श्री नन्दलाल आशाराम पाटीदार ने सोयाबीन, कपास , टमाटर और मिर्च लगाई है। क्षेत्र में अच्छा पानी  गिरा है। इसलिए फसलों में खरपतवार नाशक का प्रयोग किया है।  इधर भी दुकानदारों द्वारा निर्धारित एमआरपी से कम कीमत पर कीटनाशक बेचे जा रहे हैं। हालाँकि किसान भी  प्रतिष्ठित कंपनियों के गुणवत्तापूर्ण उत्पाद को प्राथमिकता देता है। लेकिन उधार में सामग्री खरीदने पर किसानों  को एमआरपी पर ही  सामग्री दी जाती है, जिससे उन्हें वास्तविक मूल्य से अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।  ऐसे में  उनका आर्थिक नुकसान  होता है। सारंगी के श्री कैलाशचंद्र शम्भुलाल पाटीदार ने 7 एकड़ में सोयाबीन लगाया है। फिलहाल मौसम खुला हुआ है। यहाँ भी 750 की कीटनाशक 500 में बिक रही है।  

धार जिले –  के ग्राम सेमल्दा ( मनावर ) के श्री मुकेश मनोहर सिंह पटेल ने 18  बीघे में कपास , मक्का और करेला लगाया है।  इस क्षेत्र में वर्षा कम हुई है। खरपतवारनाशी का एक छिड़काव किया जा चुका है। वहीं अजंदा (मनावर ) के श्री मोहनलाल भीकाजी मुकाती ने 25 बीघा में कपास और सोयाबीन लगाया है। इधर पानी की बहुत कमी है। वर्षा की सख्त ज़रूरत है। खरपतवार पर नियंत्रण के लिए एक स्प्रे कर दिया है। वहीं भरावदा (सरदारपुर ) के श्री अर्जुन शंकरलाल भाटी ने 35 बीघा में सोयाबीन की किस्में 9305 ,1135 और नई किस्म 1104 को दो बीघा में लगाया  है। क्षेत्र में अच्छी वर्षा हो रही है। खेत से पानी निकल गया है। फसलों में खरपतवारनाशी का एक प्रयोग हो चुका है। जिसे दुकानदार ने निर्धारित कीमत से कम में दिया है।व्यापार चलाने की खातिर सब करते हैं।

बड़वानी जिले के ग्राम  मोहीपुरा ( अंजड़ ) के श्री सत्यम विश्वकर्मा ने बताया कि क्षेत्र में कपास और मक्का की फसल अधिक लगाई जाती है। इस इलाके में पानी कम गिरा है , फिर भी फसलें ठीक हैं। खरपतवार का नियंत्रण स्प्रे और ट्रैक्टर से डोरे चलाकर किया जाता है। मल्चिंग से भी खरपतवार नियंत्रित हो जाता है। बीज और कीटनाशक को दुकानदार किसानों को छपे मूल्य से कम पर देता है।

कृषि आदान  विक्रेताओं के विचार –  आयुष कृषि सेवा केंद्र ,भीकनगांव जिला खरगोन के श्री विनय महावर ने बताया कि कुछ इलाकों में बोनी हो गई है, जबकि कई जगह बाकी है। भीकनगांव के आसपास पानी गिर रहा है, इसलिए वहाँ खेती की गतिविधियां जारी है। मेरे गांव  देवला और आसपास के 5 -6  गांवों में वर्षा नहीं हुई है। स्वयं ने मक्का लगाई है , जिसे निजी जल स्रोत से पानी दिया जा रहा है। इस वर्ष का कृषि व्यवसाय गत वर्ष की तुलना में कम है। यही बात सुविधा कृषि सेवा केंद्र , कसरावद के श्री सचिन पाटीदार ने दोहराते हुए कहा कि  क्षेत्र में पानी कम गिरा है , जिससे व्यापार प्रभावित हुआ है।

बरूफाटक जिला बड़वानी के कृषि व्यवसायी श्री प्रवीण पाटीदार ने कहा कि इस वर्ष इलाके में जहाँ बारिश हो गई है, वहां बोनी हो चुकी है ,जबकि कई जगह बारिश के बाद बोनी का काम चल रहा है। वर्षा की कमी से कई जगह दुबारा बोनी भी की गई है। क्षेत्र में सोयाबीन कम बोई जाती है। कपास मुख्य फसल है। स्प्रे कम चल रहे हैं। खरपतवारनाशी की अब तक 50 % ही बिक्री हुई है। गत वर्ष बीज के 4 हज़ार पैकेट बिके थे, वहां इस साल 1500 पैकेट ही बिके हैं। खंडित वर्षा से खरपतवारनाशी की खपत भी कम हुई है।

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